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बकाया ना मिलने से गन्ना पेराई को लेकर संशय बरकरार

गन्ना पेराई सीजन की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन बीते सीजन का गन्ना बकाया चुकता नहीं हो सका है।

By Pramod Kumar Edited By: Published: Mon, 08 Oct 2018 08:16 AM (IST)Updated: Mon, 08 Oct 2018 08:16 AM (IST)
बकाया ना मिलने से गन्ना पेराई को लेकर संशय बरकरार
बकाया ना मिलने से गन्ना पेराई को लेकर संशय बरकरार

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। गन्ना पेराई सीजन की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन बीते सीजन का गन्ना बकाया चुकता नहीं हो सका है। इसके चलते चालू पेराई सीजन में मिलों के संचालन को लेकर संशय बना हुआ है। केंद्र के साथ राज्य सरकार ने अपने स्तर से कई उपाय किए हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के किसानों का बकाया अब भी करोड़ रुपये के ऊंचे स्तर पर बना हुआ है। चीनी उद्योग पर सरकार का दबाव है कि पेराई सीजन की शुरुआत बकाया भुगतान के साथ ही करें।

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केंद्र सरकार ने इसके लिए कई कदम भी उठाए हैं। पिछले सालभर के दौरान चीनी उद्योग को राहत देने के उद्देश्य से चीनी आयात शुल्क को दोगुना कर दिया गया है, जबकि निर्यात से प्रतिबंध पूरी तरह से हटा दिया गया है। सरकार ने दो राहत पैकेज की घोषणा भी की है, जिससे चीनी का बफर स्टॉक बन सके और मिलों को रियायती दर पर कर्ज मुहैया कराया जा सके। इससे मिलों को नकदी संकट से राहत मिलने की उम्मीद है। उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों को राज्य स्तर पर कई और रियायतें भी दी गई हैं।

केंद्र सरकार ने चीनी मिलों के लिए 4500 करोड़ रुपये के रियायती ऋण का बंदोबस्त किया है, जिसका उपयोग मिलें गन्ना बकाया भुगतान में ही करेंगी। लेकिन जमीनी स्तर पर किसानों के हाथ फिलहाल कुछ नहीं पहुंचा है। अगस्त के आखिरी सप्ताह में गन्ना बकाया जहां 8969 करोड़ रुपये था, वह अक्टूबर के पहले सप्ताह में घटकर करोड़ पर रहा। भुगतान की रफ्तार बहुत धीमी है। इस धीमी रफ्तार के चलते गन्ना किसानों के साथ सरकार की चिंता भी घट नहीं रही है।

उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों का बकाया सबसे अधिक है। इसे लेकर किसानों के एक गुट ने आंदोलन का रास्ता भी अख्तियार किया और वे दिल्ली तक चढ़ आए थे। उनकी नाराजगी की मूल वजह भी गन्ना बकाया ही था। सरकार के समझाने और मिलों को धन मुहैया कराने का भरोसा दिलाने के बाद वे वापस तो चले गए, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। 


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