Indian Brand: किसने बनाया Vicco ब्रांड, क्या है इसका फुल फार्म, अब बाजार में क्यों नहीं मिलती हल्दी वाली ये क्रीम
विको टरमरिक और विको वज्रदंती 80 और 90 के दशक मशहूर एफएमसीजी प्रोडक्ट हुआ करते थे, जिनका निर्माण विको लेबोरेटरीज ने किया। 70 साल पहले शुरू हुई इस कंपनी ...और पढ़ें
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नई दिल्ली। 80 और 90 के दशक में भारत में कई पुरानी कंपनियों के प्रोडक्ट्स का बोलबाला था, लेकिन इनमें से कई कंपनीज और उनके उत्पाद गुमनामी के शिकार हो गए हैं। ऐसा ही एक ब्रांड है विको लैबोरेटरीज (Vicco Lab), जिसके 2 प्रोडक्ट काफी मशहूर हुए थे इनमें पहला विको टरमरिक क्रीम और दूसरा विको वज्रदंती टूथपेस्ट था। आपने 90 के दशक और दूरदर्शन के जमाने में इनके टीवी ऐड काफी देखे होंगे। सिनेमाघरों में भी फिल्म शुरू होने से पहले विको टरमरिक (Vicco Turmeric) या विको वज्रदंती के ऐड दिखाए जाते थे। लेकिन, क्या आप जानते हैं इस कंपनी को किसने शुरू किया था और क्यों इसके प्रोडक्ट्स बाजार में मिलना क्यों कम हो गए हैं?
विको लैब, भारत की एक जानी-मानी एफएमसीजी कंपनी रही है, जिसका इतिहास 70 साल पुराना है। आइये आपको बताते हैं इस कंपनी की शुरुआत से लेकर अब तक की कहानी...
Vi के संस्थापक कौन?
विको लैबोरेटरीज, आयुर्वेदिक उत्पाद बनाने वाली भारतीय एफएमसीजी कंपनी है, जिसकी स्थापना के सूत्रधार दिवंगत गजानन केशव पेंढारकर थे। 1959 में वे अपने पिता के साथ फैमिली बिजनेस में शामिल हुए। गजानन पेंढारकर ने अपने उत्पादों के जरिए आयुर्वेद का बहुत प्रचार किया। हालांकि, 1971 में उनके निधन के बाद, जी के पेंढारकर ने कंपनी की बागडोर संभाली और कंपनी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
VICCO का फुल फार्म और बनने की कहानी
देशभर में लोग VICCO ब्रांड के बारे में जानते हैं लेकिन इसके फुल फार्म के बारे में शायद ही लोगों को पता हो। VICCO का मतलब 'विष्णु इंडस्ट्रियल केमिकल कंपनी' है। वीको के संस्थापक केशव विष्णु पेंढरकर, नागपुर में एक किराने की दुकान चलाते थे, लेकिन जीवन में कुछ बेहतर करने की इच्छा से वे परिवार के साथ मुंबई शिफ्ट हो गए। इस दौरान उन्होंने इस महानगर में मार्केटिंग की नौकरी की और पाया कि बाजार में कॉस्मेटिक ब्रांड्स के एक रसायन-मुक्त विकल्प की जरूरत है।
इसके बाद उन्होंने जॉब छोड़कर आयुर्वेदिक प्रोडक्ट बनाने का फैसला किया। विको की शुरुआत उन्होंने दांत साफ करने वाले पाउडर बनाने वाली कंपनी के तौर पर की। चूंकि, शुरुआत में केशव विष्णु पेंढरकर के पास इतने पैसे नहीं थे कि कारखाना य मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगा सकें, इसलिए उन्होंने घर के किचन में ही अपने इस एफएमसीजी कारोबार की शुरुआत कर दी। इस तरह विको का व्यावसायिक उत्पादन परेल, बॉम्बे स्थित एक छोटे से कारखाने में शुरू हुआ और इसका वार्षिक कारोबार मात्र 10,000 रुपये रहा।
तरक्की मिली तो खुल कारखाने
जैसे-जैसे विको लैब का कारोबार बढ़ता गया, कंपनी ने नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स शुरू कर दी। परेल से विको फैक्ट्री को डोंबिवली, जिला ठाणे में दो एकड़ भूमि पर ट्रांसफर कर दिया गया। विको ने विको टरमरिक स्किन क्रीम नामक पहली पीले रंग की फेस क्रीम साल 1975 में पेश की, जो काफी मशहूर हुई। 80 के दशक में विको टरमरिक का प्रसिद्ध गीत "विको टरमरिक नहीं कॉस्मेटिक" दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ।
बाजार में क्यों कम हुए प्रोडक्ट्स
विको के उत्पाद अब भी बाजार में है लेकिन इनकी उपलब्धता कम है। विको लैबोरेटरीज विको टरमरिक क्रीम और वज्रदंती का उत्पादन अब भी करती है और यह विभिन्न ऑनलाइन और ऑफलाइन रिटेलर्स या कंपनी की साइट के जरिए खरीदी जा सकती है।
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मृणाल कुलकर्णी से लेकर आलिया भट्ट, रवीना टंडन और सौरव गांगुली इस आयुर्वेदिक ब्रांड के एंबेसडर रह चुके हैं। 1952 के बाद से विको लैब लगातार एफएमसीजी बिजनेस में सक्रिय है और इस कारोबार में कंपनी ने 70 साल पूरे कर लिए हैं। भारत के साथ-साथ इस कंपनी के प्रोडक्ट्स विदेश में भी निर्यात किए जाते हैं।

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