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गैस को GST में शामिल करने की दिशा में बढ़े कदम, पेट्रोल और डीजल को लेकर नहीं बन रही एक राय

गैस को GST व्यवस्था में लाने की तैयारी जोरों पर है। शुरुआती बातचीत में राज्यों की तरफ से भी इस पर समर्थन मिलता दिख रहा है। PC pixabay.com

By Manish MishraEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2020 07:04 AM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2020 05:15 PM (IST)
गैस को GST में शामिल करने की दिशा में बढ़े कदम, पेट्रोल और डीजल को लेकर नहीं बन रही एक राय
गैस को GST में शामिल करने की दिशा में बढ़े कदम, पेट्रोल और डीजल को लेकर नहीं बन रही एक राय

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राज्यों के कड़े विरोध को देखते हुए पेट्रोल और डीजल को वस्तु एवं सेवा कर (GST) के दायरे में लाने की बात भले ठंडे बस्ते में जाती दिख रही है, लेकिन गैस को इस कर व्यवस्था में लाने की तैयारी जोरों पर है। शुरुआती बातचीत में राज्यों की तरफ से भी इस पर समर्थन मिलता दिख रहा है। पेट्रोलियम मंत्रालय ने इस बारे में एक आवश्यक नोट वित्त मंत्रालय को भेजा है। अंतिम फैसला जीएसटी काउंसिल में होगा। सरकार की मंशा इस वर्ष के अंत तक इस व्यवस्था को लागू करने की है।

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पेट्रोलियम मंत्रालय के उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार पेट्रोल व डीजल को जीएसटी में शामिल करने को लेकर राज्यों के साथ शुरुआती विमर्श में हर पक्ष की तरफ से इसका विरोध ही हुआ है। खास तौर पर अभी राज्यों के खजाने की जो स्थिति है उसे देखते हुए इसकी संभावना बिल्कुल भी नहीं है। औद्योगिक गतिविधियों के ठप होने की वजह से राज्यों के लिए पेट्रोल व डीजल से मिलने वाला टैक्स राजस्व संग्रह का सबसे बड़ा जरिया है। ऐसे में कम से कम जब तक इकोनॉमी की स्थिति ठीक नहीं हो जाती, तब तक पेट्रोल व डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की संभावना नहीं है।

दूसरी तरफ, राज्यों को यह बताया गया है कि गैस को जीएसटी में शामिल किए बगैर काम नहीं चलेगा। इसके पीछे वजह यह है कि पूरे देश में गैस सप्लाई का काम तेजी से पाइपलाइन के जरिये होने लगा है। पेट्रोलियम पाइपलाइन का नेटवर्क तेजी से बढ़ रहा है। गैस पर अभी जिस तरह से हर राज्य में अलग-अलग दर से वैट लगाया जाता है, वह पाइपलाइन नेटवर्क पर लागू नहीं किया जा सकता। राज्यों को यह बात समझ में आई है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो पूरे देश में गैस की कीमत एकसमान होगी। 

पेट्रोलियम मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि यह कदम देश में गैस आधारित इकोनॉमी को बढ़ावा देने में भी मदद करेगा। पूरे देश में गैस की कीमत एकसमान होने से जिन राज्यों में गैस की आपूíत ज्यादा है वहां से कम आपूíत वाले राज्यों में इसे ले जाना आसान हो जाएगा।उल्लेखनीय है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतें तेज होने के साथ ही पेट्रोल व डीजल को जीएसटी में शामिल करने की मांग होने लगती है। कई राज्यों के कुल राजस्व में 60 फीसद तक हिस्सा इन दो उत्पादों से आने वाले टैक्स का है। 

अभी राज्यों की तरफ से पेट्रोल व डीजल पर आठ से 32 फीसद तक की दर से स्थानीय टैक्स (वैट आदि) लगाए जाते हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार भी उत्पाद शुल्क वसूलती है। 2019-20 में राज्यों ने पेट्रो उत्पादों से कुल 2,00,247 करोड़ रुपये का राजस्व जुटाया जबकि 2014-15 में यह संग्रह 1,37,157 करोड़ रुपये का था। इस दौरान केंद्र सरकार का पेट्रो उत्पादों से संग्रह 1,26,025 करोड़ रुपये से बढ़कर 2,87,540 करोड़ रुपये हो गया है।


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