कीमत तय करने में एहतियात बरतें तेल उत्पादक देश : प्रधानमंत्री
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर तेल उत्पादक देशों को चेताया है।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर तेल उत्पादक देशों को चेताया है। मोदी ने कहा है कि तेल का उपभोग करने वाले देशों के लिए ही नहीं, बल्कि उसका उत्पादन करने वाले देशों के हितों के लिए भी यह जरूरी है कि तेल की कीमतें तय करने में सावधानी बरती जाए। उन्होंने यह उम्मीद भी जताई कि वर्ष 2030 तक भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में पेट्रोटेक-2019 का उद्घाटन करते हुए मोदी ने कहा कि तेल की कीमतों के तय करने में सावधानी बरतना इसलिए भी जरूरी है कि दुनिया में सभी को साफ, स्वच्छ और उचित कीमत पर ऊर्जा मिल सके।
पिछले वर्ष जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमत में तेजी से इजाफा हो रहा था, तब नई दिल्ली में एनर्जी फोरम की बैठक में मोदी ने यही मुद्दा उठाया था। उस वक्त उन्होंने चेतावनी भी दी थी कि तेल उपभोक्ता देश ऊर्जा के दूसरे स्रोतों की तरफ तेजी से बढ़ सकते हैं। उसके बाद क्रूड की कीमतों में कमी आ गई। विशेषज्ञ मानते हैं कि इसके लिए भारत जैसे बड़े तेल उपभोक्ता देश के प्रधानमंत्री की तरफ से व्यक्त की गई चिंता भी एक वजह रही। वैसे, सोमवार को मोदी का लहजा चेतावनी वाला नहीं बल्कि सुझाव वाला था। इस बैठक में देश-विदेश के तेल व गैस विशेषज्ञों के बीच उन्होंने यह समझाना चाहा कि इलेक्टिक वाहनों का दौर शुरू होने के बावजूद भारत जैसे देश में पेट्रोलियम उत्पादों की अहमियत बनी रहेगी। अगर ऐसा नहीं होता तो भारत अपनी रिफाइनिंग क्षमता को और बढ़ाने का फैसला नहीं करता। भारत रिफाइनिंग क्षमता के मामले में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश है और वर्ष 2030 तक अपनी क्षमता में अतिरिक्त 20 करोड़ टन सालाना की वृद्धि की जाएगी। भारत की घरेलू रिफाइनिंग क्षमता अभी 23 करोड़ टन सालाना है।
मोदी ने निवेशकों से कहा कि भारत ऊर्जा क्षेत्र में एक आकर्षक स्थल बना रहेगा क्योंकि यहां ऊर्जा की मांग वर्ष 2040 तक दोगुनी हो जाने के आसार है। यही नहीं, एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2030 तक भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। हालांकि ऊर्जा के उपभोग के तरीके और उत्पादन में बदलाव आ रहा है। अमेरिका अब सबसे बड़ा तेल व गैस उत्पादक देश बन गया है। ऊर्जा के दूसरे स्रोतों का विस्तार हो रहा है। प्राकृतिक गैस सबसे बड़ा स्रोत बनने की तरफ अग्रसर है। भारत भी तेजी से गैस की खपत को बढ़ाने में जुटा है। इसमें निजी निवेश को बढ़ाने के लिए भारत सरकार लगातार अपनी नीतियों में सुधार कर रही है।