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प्रधानमंत्री को उम्मीद, जल्द रफ्तार पकड़ेगी विकास दर

टोक्यो। भारत की विकास दर में गिरावट को अस्थायी बताते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अर्थव्यवस्था की रफ्तार जल्दी ही आठ फीसद पर पहुंचने की उम्मीद जताई है। जापान के तीन दिवसीय दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था का आधार पूरी तरह से मजबूत है।

By Edited By: Published: Tue, 28 May 2013 09:41 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
प्रधानमंत्री को उम्मीद, जल्द रफ्तार पकड़ेगी विकास दर

टोक्यो। भारत की विकास दर में गिरावट को अस्थायी बताते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अर्थव्यवस्था की रफ्तार जल्दी ही आठ फीसद पर पहुंचने की उम्मीद जताई है। जापान के तीन दिवसीय दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था का आधार पूरी तरह से मजबूत है।

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टोक्यो में उद्योग संगठन निप्पन केदानरेन द्वारा आयोजित कारोबारियों के एक सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में विकास दर बढ़कर छह फीसद के करीब पहुंच जाएगी। पिछले साल यह दर दशक के निचले स्तर पांच फीसद पर लुढ़क गई थी। उन्होंने कहा कि पिछले दशक में अर्थव्यवस्था की औसत विकास दर आठ फीसद रही है। उम्मीद है कि जल्दी ही इस दर को फिर से हासिल कर लिया जाएगा।

प्रधानमंत्री ने जापानी कारोबारियों को आश्वासन दिया कि विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए और कदम उठाए जाएंगे। सरकार ने मल्टी-ब्रांड रिटेल, पावर एक्सचेंज और विमानन जैसे क्षेत्र में विदेशी निवेश के अवसर बढ़ाए हैं। भारतीय रिजर्व बैंक [आरबीआइ] ने भी संकेत दिए हैं कि वह नए बैंकिंग लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया जल्द शुरू करेगा। देश में गुणवत्तापूर्ण आधारभूत संरचनाओं की कमी स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ाने में यह सबसे बड़ी बाधा है। चालू पंचवर्षीय योजना के तहत देश में आधारभूत संरचना क्षेत्र में 10 खरब डॉलर के निवेश का लक्ष्य रखा गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि लंबी अवधि में अर्थव्यवस्था के हितों को ध्यान में रखकर कुछ मुश्किल और कड़े फैसले लिए जाएंगे। उन्होंने आश्वासन दिया कि काफी समय से लंबित वस्तु एवं सेवाकर [जीएसटी] उचित स्वरूप में वर्ष 2014 से लागू होगा। उन्होंने कहा कि जापान के साथ भारत का महज 18 अरब डॉलर का कारोबार दोनों देशों की मौजूदा संभावनाओं के हिसाब से पर्याप्त नहीं है। भारतीयों ने ऊंची विकास दर के फायदे देखें हैं। वह कम वृद्धि से समझौता नहीं करेंगे।

अच्छे का दुश्मन बन सकता है सबसे अच्छा

टोक्यो। सामान्य रूप से खरी बातें न कहने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने स्वीकार किया है कि सार्वजनिक जीवन में कई बार सबसे अच्छा, अच्छे का दुश्मन बन जाता है। उन्होंने यह टिप्पणी जापानी बैंकर द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में की। बैंकर ने भारत के मेट्रो शहरों में विदेशी बैंकों की ज्यादा शाखाएं खोलने पर लगी पाबंदी को लेकर सवाल किया था।

प्रधानमंत्री ने साफगोई से कहा कि यह कठिन तकनीकी सवाल है, जिसका जवाब हमारा वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक दे सकता है। यदि मैं स्वीकार करूं तो हम सार्वजनिक जीवन में जितना ऊपर जाते हैं, निचले स्तर को लेकर हमारी जानकारी उतनी कम होती जाती है।


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