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तीन महीने में इस कंपनी के शेयरों में आई 600% की तेजी, अनिल अंबानी समूह की है ये इकाई

Reliance Naval and Engineering Ltd 9 सितंबर के बाद से इस कंपनी के स्‍टॉक में एक दिन भी गिरावट दर्ज नहीं की गई और इसकी कीमत 95 पैसे से बढ़कर 7.67 रुपये तक पहुंच गई।

By Manish MishraEdited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 01:24 PM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2019 07:33 PM (IST)
तीन महीने में इस कंपनी के शेयरों में आई 600% की तेजी, अनिल अंबानी समूह की है ये इकाई

नई दिल्‍ली, ब्‍लूमबर्ग। ऐसा लगता है कि कर्ज के बोझ तले डूबी अनिल अंबानी ग्रुप की कंपनी रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड (Reliance Naval and Engineering Ltd) के शेयरों में जैसे पंख लग आए हों। कम से कम भारतीय शेयर बाजार में तो ऐसा ही ट्रेंड देखने को मिल रहा है। दिलचस्‍प बात यह है कि 9 सितंबर के बाद से इस पेनी स्‍टॉक में एक दिन भी गिरावट दर्ज नहीं की गई और इसकी कीमत 95 पैसे से बढ़कर 7.67 रुपये तक पहुंच गई। 2009 में लिस्‍ट होने के बाद से रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग के शेयरों में आई यह सबसे बड़ी तेजी है।   

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अनिल अंबानी के लिए इस शिपयार्ड का पुनरुद्धार महत्‍वपूर्ण है जो सरकारी रक्षा ठेके से आने वाले नकद प्रवाह के लिए प्रयासरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजना राष्‍ट्रीय सुरक्षा के मद में अरबों डॉलर खर्च करने की है और रिलायंस नेवल इसका लाभ उठाना चाहती है। शेयर बाजार के ब्रोकर्स का कहना है कि रिलायंस नेवल के शेयरों में जो तेजी आई है वह संभवत: सट्टेबाजों का किया धरा है। इसका कंपनी के भविष्‍य से कोई लेना देना नहीं है। 

Reliance Naval Share Movement 

मुंबई स्थित एक इन्‍वेस्‍टमेंट एडवाइजरी फर्म KRIS के डायरेक्‍टर अरुण केजरीवाल ने कहा कि यह कुछ मार्केट ऑपरेटर्स द्वारा निहित स्वार्थ के साथ विशुद्ध रूप से सट्टेबाजी का कदम हो सकता है क्‍योंकि कंपनी के फंडामेंटल्स में कोई बदलाव नहीं आया है। रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग विभिन्‍न समस्‍याओं से ग्रसित है। उन्‍होंने कहा कि चूंकि कंपनी के शेयर की कीमतें काफी कम हैं इसलिए कीमत बढ़ाने के लिए ऐसे ट्रिगर्स का इस्‍तेमाल करना काफी आसान है। 

रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग से इस संदर्भ में ज्‍यादा जानकारी के लिए ब्‍लूमबर्ग ने कॉल किया और ईमेल भी भेजे जिसका जवाब नहीं मिल सकता है। 

दूसरी तरफ, दिवाला ट्रिब्‍यूनल रिलायंस नेवल को दिवालिया की श्रेणी में रखने पर विचार कर रहा है क्‍योंकि आईडीबीआई बैंक जैसे कर्जदाताओं ने निर्णय लिया है कि कंपनी के कर्ज का वे पुनर्गठन नहीं करेंगे। कंपनी के शेयरों में हालिया तेजी के बावजूद इस साल कंपनी शेयरों में 50 फीसद की गिरावट है। 


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