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बुजुर्ग 'उपभोक्ताओं' को नहीं पड़ेगा भटकना, उनकी जरूरत के सामान मुहैया कराएंगे स्टार्ट-अप

सरकार ने बुजुर्गों की तेजी से बढ़ती आबादी को देखते हुए उनसे जुड़े जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर को जुटाने पर फिलहाल तेजी से काम शुरू कर दिया है। इस मुहिम में स्टार्ट-अप की मदद ली जा रही है। पहली खेप में करीब 10 स्टार्ट-अप को इसके लिए चुना गया है।

By Manish MishraEdited By: Published: Fri, 12 Nov 2021 08:30 AM (IST)Updated: Fri, 12 Nov 2021 08:30 AM (IST)
बुजुर्ग 'उपभोक्ताओं' को नहीं पड़ेगा भटकना, उनकी जरूरत के सामान मुहैया कराएंगे स्टार्ट-अप
Senior citizen 'consumers' will not have to wander, start-ups will provide the goods they need

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में बुजुर्गों की संख्या जिस तेजी से बढ़ रही है, उसी अनुपात में उनके सामानों की उपलब्धता बढ़ाने के इंतजाम सरकार कर रही है। सरकार ने बुजुर्गों की तेजी से बढ़ती आबादी को देखते हुए उनसे जुड़े जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर को जुटाने पर फिलहाल तेजी से काम शुरू कर दिया है। इस मुहिम में स्टार्ट-अप की मदद ली जा रही है। जिसमें उन्हें इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए वित्तीय मदद भी मुहैया कराई जा रही है। पहली खेप में करीब 10 स्टार्ट-अप को इसके लिए चुना गया है।

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बुजुर्गों के लिए देश में जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर को जुटाने के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने सेज (सीनियर केयर एजिंग ग्रोथ इंजन) नाम की एक नई स्कीम भी शुरू की है। इसमें बुजुर्गो से जुड़े उपकरण और उनकी जरूरत से जुड़ी चीजों को तैयार करने वाले स्टार्ट-अप को बतौर इक्विटी एक-एक करोड़ की वित्तीय मदद दी जाएगी। इस स्कीम के तहत हर वर्ष इस क्षेत्र में काम करने वाले करीब 20 स्टार्ट-अप को वित्तीय मदद दी जानी है।

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इस स्कीम के तहत वित्तीय क्षेत्र, संपदा प्रबंधन, खाद्य, कानूनी सलाह और उनसे जुड़ी तकनीकी सेवाओं के साथ स्वास्थ्य, आवास, देखभाल केंद्र जैसी सुविधाओं के लिए काम करने वाले स्टार्ट-अप को वित्तीय मदद दी जाएगी। अभी तक बुजुर्गो से जुड़ी जरूरी चीजों और सुविधाओं के क्षेत्र में उद्योगों की कम ही रुचि देखी गई है। मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा समय में देश की कुल जनसंख्या में बुर्जुर्गों की आबादी करीब आठ प्रतिशत है, जबकि वर्ष 2026 तक इनकी आबादी देश की कुल जनसंख्या का करीब 13 प्रतिशत हो जाएगी।

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