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टाटा-मिस्त्री मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला, जानें क्या है पूरा प्रकरण

एनसीएलएटी (NCLAT) ने पिछले साल 18 दिसंबर को मिस्त्री को टाटा संस के एक्जीक्यूटिव चेयरमैन पद पर बहाल करने का फैसला सुनाया था। 10 जनवरी को शीर्ष अदालत ने एनसीएलएटी के फैसले पर रोक लगाते हुए टाटा समूह को बड़ी राहत दी थी।

By Ankit KumarEdited By: Published: Thu, 17 Dec 2020 07:24 PM (IST)Updated: Fri, 18 Dec 2020 07:51 AM (IST)
टाटा-मिस्त्री मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला, जानें क्या है पूरा प्रकरण
मिस्त्री ने 2012 में टाटा संस के चेयरमैन के रूप में रतन टाटा का स्थान लिया था।

नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड और साइरस इंवेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड की याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। टाटा संस ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनक्लैट) के फैसले को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। साइरस इंवेस्टमेंट्स ने टाटा की याचिका के खिलाफ याचिका दी थी। चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पीठ ने मामले की सुनवाई की।

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एनसीएलएटी (NCLAT) ने पिछले साल 18 दिसंबर को मिस्त्री को टाटा संस के एक्जीक्यूटिव चेयरमैन पद पर बहाल करने का फैसला सुनाया था। 10 जनवरी को शीर्ष अदालत ने एनसीएलएटी के फैसले पर रोक लगाते हुए टाटा समूह को बड़ी राहत दी थी। 29 मई को अदालत ने साइरस इंवेस्टमेंट्स की क्रॉस अपील पर टाटा संस एवं अन्य को नोटिस भेजा था। सुनवाई के दौरान साइरस मिस्त्री के शपूरजी पालोनजी ग्रुप ने दावा किया कि अक्टूबर, 2016 में मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाने के मामले में नियमों का उल्लंघन किया गया था। वहीं टाटा का कहना है कि इस प्रक्रिया में कुछ भी गलत नहीं किया गया।

मिस्त्री ने 2012 में टाटा संस के चेयरमैन के रूप में रतन टाटा का स्थान लिया था। हालांकि, चाल साल बाद 24 अक्टूबर, 2016 को मिस्त्री को इस पद से हटा दिया गया था। 

टाटा संस ने इससे पहले शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि वह 'दो ग्रुप' की कंपनी नहीं है और उसके एवं साइरस इंवेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के बीच कोई 'quasi-partnership' नहीं हुआ था। 

मिस्त्री ने भी सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि 2019 में टाटा समूह को 13,000 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था। उन्होंने कहा कि था कि पिछले तीन दशक में यह कंपनी को हुआ सबसे बड़ा घाटा था।

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