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Loan Moratorium Case: आम लोगों के लिए बड़ी खुशखबरी, 15 नवंबर से पहले लागू हो जाएगा ब्याज पर ब्याज माफी का फैसला

केंद्र सरकार ने लोन मोराटोरियम मामले में सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा दाखिल किया है। केंद्र सरकार के मुताबिक मौजूदा स्थिति में विभिन्न सेक्टर्स को और राहत देना संभव नहीं है और कोर्ट को राजकोषीय नीति के मामलों में दखल नहीं देना चाहिए।

By Ankit KumarEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2020 11:11 AM (IST)Updated: Thu, 15 Oct 2020 09:04 AM (IST)
Loan Moratorium Case: आम लोगों के लिए बड़ी खुशखबरी, 15 नवंबर से पहले लागू हो जाएगा ब्याज पर ब्याज माफी का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने पांच अक्टूबर को सरकार के हलफनामे पर असंतोष जताया था।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को ब्याज पर ब्याज को माफ करने के फैसले को जल्द-से-जल्द लागू करने का बुधवार को निर्देश दिया। शीर्ष न्यायालय ने लोन मोराटोरियम की अवधि के ब्याज को माफ करने की मांग को लेकर दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह कहा। केंद्र सरकार ने तीन अक्टूबर को अपने हलफनामे में कहा था कि वह दो करोड़ रुपये तक के लोन के मामले में छह माह के मोराटोरियम की अवधि (मार्च से अगस्त, 2020) के लिए ब्याज पर ब्याज को माफ करेगी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष न्यायालय को बताया कि सरकार का यह निर्णय 15 नवंबर से पहले प्रभावी हो जाएगा। 

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मेहता ने कहा, ''बैंक ब्याज पर ब्याज को माफ करेंगे और इसकी क्षतिपूर्ति सरकार करेगी और इस गणना में विभिन्न तरह की चीजें शामिल होंगी। हम यह सुनिश्चित करना होगा कि बैंक हमें उचित फॉर्मेट उपलब्ध कराएं।''

जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी और जस्टिस एम आर शाह की तीन सदस्यीय पीठ ने बुधवार को कहा कि सरकार को इस फैसले को लागू करने में अब और देरी नहीं करनी चाहिए। पीठ ने कहा, ''इतने छोटे से फैसले को लागू करने के लिए एक महीने का समय क्यों चाहिए...दो करोड़ रुपये तक के लेनदारों को सरकार की छूट का लाभ जल्द-से-जल्द मिलना चाहिए।''

इस पर मेहता ने कहा, ''इसे लागू करने के लिए 15 नवंबर तक की अधिकतम समयसीमा तय की गई है लेकिन सरकार उससे पहले ही इसे लागू करने की कोशिश करेगी।''

देश में कोरोनावायरस महामारी के देखते हुए रिजर्व बैंक ने मार्च में टर्म लोन की EMI के भुगतान से तीन माह की मोहलत दी थी। इसके बाद केंद्रीय बैंक ने लोन मोराटोरियम की अवधि को 31 मार्च तक के लिए बढ़ा दिया था। इस फैसले का लक्ष्य कर्ज लेने वालों को ईएमआई के भुगतान के लिए अधिक समय देने का था।

शीर्ष न्यायालय ने तीन सितंबर को इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा था कि जिन अकाउंट्स को 31 अगस्त तक एनपीए घोषित नहीं किया गया था, उन्हें अगले आदेश तक NPA घोषित नहीं किया जाएगा। रिजर्व बैंक ने 10 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि NPA अकाउंट घोषित करने के लेकर लगाए गए स्टे को अगर तत्काल नहीं हटाया गया तो इसके गंभीर असर बैंकिंग सिस्टम पर देखने को मिल सकते हैं। 

बैंक एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि बैंक आरबीआई के सर्कुलर की प्रतीक्षा कर रहे हैं। 

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई को दो नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया। 


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