SBI के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा: कोई नहीं चाहता कि टेलीकॉम इंडस्ट्री खत्म हो जाए
दूरसंचार उद्योग के समक्ष समस्याओं के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा मैं स्पष्ट कर दूं कि कोई भी इस क्षेत्र को मारना नहीं चाहता।
मुंबई, पीटीआइ। भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा है कि दूरसंचार क्षेत्र को कोई मारना नहीं चाहता। देश के सबसे बड़े बैंक के आला अधिकारी ने सोमवार को यह बात ऐसे समय कही, जब कर्ज के बोझ से दबी दूरसंचार कंपनियों पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय के बाद 1.47 लाख करोड़ रुपये सरकारी बकाए के भुगतान का दबाव बढ़ गया है।
एसबीआई प्रमुख से जब पूछा गया कि क्या सरकार ने इस मामले में बैंकों से कोई राय मांगी है तो उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक को इस मुद्दे पर सरकार से कुछ भी सुनने को नहीं मिला है। दूरसंचार उद्योग के समक्ष समस्याओं के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा, 'मैं स्पष्ट कर दूं कि कोई भी इस क्षेत्र को मारना नहीं चाहता।'
इस महीने की शुरुआत में कुमार ने कहा था कि दूरसंचार क्षेत्र पर एसबीआई का 29,000 करोड़ रुपये बकाया है। इसके अलावा इस क्षेत्र की बैंक गारंटी में इस बैंक के 14,000 करोड़ रुपये लगे हुए हैं। दूरसंचार कंपनियां यदि बकाये का भुगतान नहीं करती हैं, तो सरकार बैंक गारंटी भुना सकती है। इस मामले को लेकर पिछले सप्ताह दूरसंचार कंपनियों और सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच कई बैठकें हुई हैं।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इसी महीने दूरसंचार कंपनियों से स्पेक्ट्रम शुल्क और सकल समायोजित राजस्व (AGR) के मद का कुल 1.47 लाख करोड़ रुपये का सांविधिक बकाया 17 मार्च तक जमा करने को कहा है। इतनी बड़ी राशि के बकाए के भुगतान का गंभीर असर कंपनियों की माली हालत पर पड़ सकता है। अकेले वोडाफोन-आइडिया पर, दूरसंचार विभाग के अनुमान के अनुसार 53,000 करोड़ रुपये का बकाया है।
सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों से AGR कैलकुलेशन के समर्थन में दस्तावेज देने को कहा: सूत्र
दूरसंचार विभाग के सूत्रों के अनुसार, सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों से AGR के स्व-मूल्यांकन का समर्थन करने वाले दस्तावेज जमा करने के लिए कहा है, जिसके आधार पर उन्होंने अपने ऊपर सांविधिक बकायों की गणना की है। सूत्रों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इससे दूरसंचार विभाग को टेलीकॉम कंपनियों द्वारा AGR की गणना की जांच में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि सभी तीन टेलीकॉम कंपनियों- भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज को AGR की गणना के दावे के समर्थन में उचित दस्तावेज उपलब्ध कराने को कहा गया है।