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S&P ने भारत की ग्रोथ का अनुमान घटाकर 7.3% किया, बढ़ती महंगाई और रूस-यूक्रेन युद्ध बनी वजह

GDP Growth Rate of India SP Global Ratings ने चालू वित्‍त वर्ष के लिए भारत के जीडीपी की ग्रोथ के अनुमानों में कटौती की है। एसएंडपी का मानना है कि बढ़ती महंगाई और चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध से भारत की ग्रोथ रेट प्रभावित होगी।

By Manish MishraEdited By: Published: Wed, 18 May 2022 12:32 PM (IST)Updated: Wed, 18 May 2022 12:41 PM (IST)
S&P cuts FY23 India growth forecast to 7.3 percent

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। S&P Global Ratings ने बुधवार चालू वित्‍त वर्ष के लिए भारत की ग्रोथ का अनुमान 7.8 प्रतिशत से घटाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया है। एसएंडपी ग्‍लोबल रेटिंग्‍स ने बढ़ती महंगाई और अनुमान से अधिक समय तक चल रहे रूस-यूक्रेन संघर्ष को देखते हुए ग्रोथ के अनुमान में यह कटौती की है। S&P ने अपनी ग्‍लोबल मैक्रो अपडेट टु ग्रोथ फोरकास्‍ट्स में कहा है कि ज्‍यादा समय तक महंगाई दर अधिक रहना चिंता की बात है। इसके लिए केंद्रीय बैंकों को मौजूदा कीमतों को देखते हुए दरों में बढ़ोतरी करनी होगी। हालांकि, यह जोखिम भरा कदम होगा क्‍योंकि इसका सबसे ज्‍यादा असर आउटपुट और रोजगार पर पड़ेगा। पिछले साल दिसंबर में एसएंडपी ने अनुमान लगाया था कि 2022-23 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्‍पाद (GDP) की ग्रोथ रेट 7.8 प्रतिशत रहेगी। ग्रोथ के इस अनुमान में कटौती कर इसे चालू वित्‍त वर्ष के लिए 7.3 प्रतिशत कर दिया गया है। अगले वित्‍त वर्ष में जीडीपी की ग्रोथ 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान किया गया है।

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एसएंडपी ने कहा है कि पिछले अनुमानों के मुकाबले हमारे अनुमानों में जोखिम बढ़ा है। रूस-यूक्रेन युद्ध अभी चलते रहने की संभावना है और हमारा नजरिया है कि इससे ग्रोथ में कमी आने का जोखिम बढ़ जाता है। आकलन के मुताबिक भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था ने पिछले वित्‍त वर्ष (2021-22) में 8.9 प्रतिशत की जीडीपी ग्रोथ हासिल की थी। एसएंडपी ने अनुमान लगाया है कि चालू वित्‍त वर्ष में खुदरा महंगाई दर (CPI Inflation) 6.9 प्रतिशत रहा सकती है।

कमोडिटीज की बढ़ती कीमतें और रूस-यूक्रेन युद्ध को देखते हुए कई वैश्विक रेटिंग एजेंसियों ने हाल ही में भारत की जीडीपी ग्रोथ के अनुमानों में कटौती की है। अप्रैल में वर्ल्‍ड बैंक ने 2022-23 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 8.7 प्रतिशत से घटाकर 8 प्रतिशत कर दिया था। वहीं, अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी इसे 9 प्रतिशत से घटाकर 8.2 प्रतिशत कर दिया था।


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