6 महीने के निचले स्तर के साथ 65.55 पर रुपया, आम आदमी को होंगे 4 नुकसान
रुपए में जारी गिरावट की प्रमुख वजहों में जियो पॉलिटिकल टेंशन को भी गिना जा सकता है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। भारतीय रुपए में लगातार गिरावट जारी है। मंगलवार के कारोबार में इस गिरावट में और विस्तार हुआ है। आज रुपया 4 पैसे की मजबूती के साथ जरूर खुला, लेकिन 10 बजकर 21 मिनट पर रुपया डॉलर के मुकाबले 65.55 पर कारोबार करता देखा गया। आपको बता दें कि सोमवार के कारोबार में रुपया डॉलर के मुकाबले 29 पैसे की कमजोरी के साथ 65.49 पर बंद हुआ था, जो कि बीते 6 महीने का निचला स्तर है।
डॉलर में क्यों आई गिरावट?
केडिया कमोडिटी के प्रमुख अजय केडिया ने बताया डॉलर के मुकाबले रुपए में आई इस कमजोरी की प्रमुख वजह क्रूड की कीमतों में लगातार हो रहा इजाफा है। मौजूदा समय में WTI क्रूड 66.58 और ब्रेंट क्रूड 71.71 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहे हैं। वहीं रुपये के कमजोर होने के अन्य कारणों का बात की जाए तो उनमें जियो पॉलिटिकल टेंशन को भी प्रमुख कारण माना जा सकता है जिसको लेकर बाजार में चिंता बनी हुई है। इसके अलावा ट्रेड वार को लेकर जारी तनाव भी रुपए को कमजोर कर रहा है।
एक महीने में कहां तक जा सकता है रुपया?
अगर एक महीने के आउटलुक की बात की जाए तो भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले अधिकतम स्तर में 66.20 और निम्नतम स्तर में 64.60 तक कारोबार करता देखा जा सकता है।
रुपए के कमजोर से आम आदमी को होते हैं ये 4 नुकसान:
महंगा होगा विदेश घूमना: रुपए के कमजोर होने से अब विदेश की यात्रा आपको थोड़ी महंगी पड़ेगी क्योंकि आपको डॉलर का भुगतान करने के लिए ज्यादा भारतीय रुपए खर्च करने होंगे। फर्ज कीजिए अगर आप न्यूयॉर्क की हवाई सैर के लिए 3000 डॉलर की टिकट भारत में खरीद रहे हैं तो अब आपको पहले के मुकाबले ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे।
विदेश में बच्चों की पढ़ाई होगी महंगी: अगर आपका बच्चा विदेश में पढ़ाई कर रहा है तो अब यह भी महंगा हो जाएगा। अब आपको पहले के मुकाबले थोड़े ज्यादा पैसे भेजने होंगे। यानी अगर डॉलर मजबूत है तो आपको ज्यादा रुपए भेजने होंगे। तो इस तरह से विदेश में पढ़ रहे बच्चों की पढ़ाई भारतीय अभिभावकों को परेशान कर सकती है।
क्रूड ऑयल होगा महंगा तो बढ़ेगी महंगाई: डॉलर के मजबूत होने से क्रूड ऑयल भी महंगा हो जाएगा। यानि जो देश कच्चे तेल का आयात करते हैं, उन्हें अब पहले के मुकाबले (डॉलर के मुकाबले) ज्यादा रुपए खर्च करने होंगे। भारत जैसे देश के लिहाज से देखा जाए तो अगर क्रूड आयल महंगा होगा तो सीधे तौर पर महंगाई बढ़ने की संभावना बढ़ेगी।
डॉलर में होने वाले सभी पेमेंट महंगे हो जाएंगे: वहीं अगर डॉलर कमजोर होता है तो डॉलर के मुकाबले भारत जिन भी मदों में पेमेंट करता है वह भी महंगा हो जाएगा। यानी उपभोक्ताओं के लिहाज से भी यह राहत भरी खबर नहीं है।