रुपया बिगाड़ेगा त्योहार, महंगाई का बम तैयार
नई दिल्ली [जाब्यू]। कमजोर रुपये ने इस बार त्योहारों का तिया पांचा करने की ठान रखी है। अक्टूबर से जब पूरे देश में त्योहारों का मौसम शुरू होगा, तब तक कई चीजों की कीमतों पर रुपये की कमजोरी का असर भी साफ दिखने लगेगा। जानकारों की मानें तो रुपये का मौजूदा तेवर त्योहारों में बनने वाले पकवानों से लेकर खरीदे जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण्
नई दिल्ली [जाब्यू]। कमजोर रुपये ने इस बार त्योहारों का तिया पांचा करने की ठान रखी है। अक्टूबर से जब पूरे देश में त्योहारों का मौसम शुरू होगा, तब तक कई चीजों की कीमतों पर रुपये की कमजोरी का असर भी साफ दिखने लगेगा। जानकारों की मानें तो रुपये का मौजूदा तेवर त्योहारों में बनने वाले पकवानों से लेकर खरीदे जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों तक अपनी छाप छोड़ने जा रहा है।
पेट्रोल-डॉलर : अगर संसद का सत्र नहीं चल रहा होता तो आम जनता पर पेट्रोल व डीजल की मूल्य वृद्धि की एक और किस्त डाल दी गई होती। इन दोनों उत्पादों में अंतिम मूल्य वृद्धि 31 जुलाई, 2013 को हुई थी। उसके बाद से एक डॉलर की कीमत 60.4 रुपये से बढ़कर 64.5 रुपये हो चुकी है। इस हिसाब से फिलहाल पेट्रोल में कम से कम 1.60 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की सूरत बनती है। सूत्रों के मुताबिक डीजल पर घाटा 10 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा का है। इसकी कीमत भी दो से तीन रुपये बढ़ाने पर विचार हो रहा है।
होम लोन : इस त्योहारी मौसम में अपना आशियाना खरीदने वालों की तैयारियों पर भी रुपये की मार पड़ेगी। रुपये थामने की कोशिश में रिजर्व बैंक को ब्याज दर बढ़ानी पड़ी है। आइसीआइसीआइ व एचडीएफसी ने अपना बेस रेट अभी से बढ़ा दिया है। इससे इनका होम लोन इतना ही महंगा हो जाएगा। पहले लोन ले चुके ग्राहकों की भी मासिक किस्त बढ़ेगी। लगभग आधा दर्जन सरकारी व निजी बैंक भी दरें बढ़ा चुके हैं।
ऑटो कंपनियां : रुपये की कीमत सीधे तौर पर देश में बनने वाली कारों व अन्य वाहनों की कीमतों से जुड़ी हुई है। अमूमन ऑटो क्षेत्र अभी भी अपना 30 फीसद कच्चा माल विदेश से आयात करता है। मारुति, हुंडई, जनरल मोटर्स, फोर्ड सहित तमाम कंपनियां कीमत नए सिरे से तय करने पर विचार कर रही हैं। इन कंपनियों को घरेलू बाजार में भयंकर मंदी भी झेलनी पड़ रही है। रुपये की कीमत में पिछले तीन महीने में 15 फीसद की गिरावट की वजह से त्योहारी सीजन में ज्यादा वाहन बेचने की उम्मीदों को भी झटका लगा है।
इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण : देश में टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन, मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनियां औसतन 15 से 40 फीसद तक कच्चा माल बाहर मंगवाते हैं। डॉलर, येन और पाउंड स्टर्लिग के महंगा होने से इनकी लागत बढ़ गई है। जनता को इन उपकरणों के लिए भी ज्यादा कीमत अदा करनी पड़ सकती है।
रसोई : रुपये की कमजोरी की कीमत गृहणियों को भी चुकानी पड़ेगी। खास तौर पर आने वाले दिनों में खाद्य तेलों की कीमतों में इसका असर दिख सकता है। भारत अपनी जरूरत का 50 फीसद बाहर से आयात करता है। इसी तरह से दूध पाउडर और दाल वगैरह का भी आयात किया जाता है।