रिजर्व बैंक ने ढीले किए तेवर, बैंकों को राहत
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। बेदम हो चुके रुपये में नई जान भरने के लिए रिजर्व बैंक [आरबीआइ] ने कुछ नए प्रयोग किए हैं। आरबीआइ ने प्रंवासी भारतीयों के जरिये देश में ज्यादा डॉलर लाने का रास्ता खोला है। इसके साथ ही तरलता संकट से जूझ रहे बैंकों को कुछ फौरी राहत पहुंचाने की भी कोशिश की है। हाल के अपने कड़े मौद्रिक फैसलों से यू-ट
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। बेदम हो चुके रुपये में नई जान भरने के लिए रिजर्व बैंक [आरबीआइ] ने कुछ नए प्रयोग किए हैं। आरबीआइ ने प्रंवासी भारतीयों के जरिये देश में ज्यादा डॉलर लाने का रास्ता खोला है। इसके साथ ही तरलता संकट से जूझ रहे बैंकों को कुछ फौरी राहत पहुंचाने की भी कोशिश की है। हाल के अपने कड़े मौद्रिक फैसलों से यू-टर्न लेते हुए आरबीआइ ने बैंकों से इस हफ्ते 8,000 करोड़ रुपये के बांड खरीदने का एलान किया है। इससे बैंकों के पास ज्यादा नकदी आएगी। इसका इस्तेमाल वे कर्ज देने में कर सकेंगे।
वैधानिक तरलता अनुपात यानी एसएलआर को बरकरार रखने में भी बैंकों को कुछ छूट दी गई है ताकि वे ज्यादा कर्ज दे सके। एसएलआर के तहत बैंकों के लिए अपनी जमा का यह हिस्सा सरकारी प्रतिभूतियों और बांड में निवेश करना आवश्यक है। इसके अलावा केंद्रीय बैंक ने देश में ज्यादा डॉलर लाने के लिए बैंकों को यह छूट दे दी है कि वे अनिवासी भारतीयों [एनआरआइ] को मनमाफिक ब्याज दे सकें। प्रवासी भारतीयों के लिए तीन वर्ष से ज्यादा अवधि की परिपक्वता वाली जमा स्कीमों पर कर्ज की दरें तय करने की छूट बैंकों को दे दी गई है।
साथ ही एनआरआइ को भारतीय शेयर बाजार और ऋण बाजार में निवेश करने के लिए ज्यादा आजादी दे दी गई है। इस बारे में नियमों को आसान किया गया है। प्रंवासी भारतीयों को शेयरों व डेट मार्केट में आसानी से निवेश करवाने के लिए बैंकों की शाखाओं को एक खास कोड दिया जाएगा। इससे इन निवेशों पर आसानी से रिजर्व बैंक नजर रख सकेगा। लेकिन इस स्कीम के तहत जो निवेश किया जाएगा, उसे एनआरआइ को अपने पास ही रखना होगा। वे इसे गिरवी नहीं रख सकते। साथ ही वे चिट फंड कंपनियों, निधि कंपनियों, कृषि, प्लांटेशन, रीयल एस्टेट, सड़क, पुल, इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी कंपनियों में निवेश नहीं कर सकेंगे।
रिजर्व बैंक अप्रैल, 2013 से ही रुपये को थामने के लिए सक्रिय है। पिछले एक महीने से हर हफ्ते आरबीआइ कदम उठा रहा है, लेकिन रुपये की कीमत को अभी तक रोकने में कोई सफलता नहीं मिली है। उलटा उसके कदमों से बाजार में नकदी का संकट पैदा हो गया है। कई बैंकों को कर्ज महंगा करना पड़ा है। इससे उद्योग जगत में काफी नाराजगी भी है। कई जानकारों का कहना है कि कड़े मौद्रिक उपायों का बाजार पर विपरीत असर हो रहा है। बहरहाल, रिजर्व बैंक ने कहा है कि वह 23 अगस्त को आठ हजार करोड़ रुपये के बांड खरीदेगा। इससे बैंकों के पास कुछ ज्यादा आएगी। साथ ही कुल जमा राशि का कितना फीसद लंबी अवधि के बांड में निवेश किया जाए, इस बारे में भी आरबीआइ ने अपने नियमों में ढील दी है। कुल जमा का 24.5 फीसद राशि बैंक लंबी अवधि के बांड में लगा सकेंगे। इससे कम अवधि के बांड में निवेश पर हाल ही में बैंकों को जो घाटा हुआ है, उसकी भरपाई हो सकेगी।