Air India को बेच सरकार जिम्मेदारी से पीछा नहीं छुड़ा सकती : बीएमएस
कोई निजी एयरलाइन इन रूटों पर सेवाएं देना नहीं पसंद करेगी। देश के अनेक हवाई अड्डे सिर्फ एयर इंडिया की उड़ानों के बल पर चल रहे हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से संबद्ध यूनियन भारतीय मजदूर संघ ने एयर इंडिया को बेचने के फैसले का पुरजोर विरोध करते हुए सरकार से इस पर पुनर्विचार करने को कहा है। मंगलवार को जारी बयान में भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के महासचिव विरजेश उपाध्याय ने कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम भारत के एकमात्र उद्यम हैं जो 1956 में निर्धारित औद्योगिक नीति के उद्देश्यों को पूर्ण रूपेण पूरा कर रहे हैं। ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि सामाजिक योजनाओं के लिए संसाधन जुटाने के नाम पर उन्हें बेचा जा रहा है।
निजी कंपनियों को पीएसयू की बिक्री से ये उद्देश्य पूरा नहीं होगा क्योंकि निजीकरण सरकार को उसके दायित्वों से मुक्त नहीं करता। हमें इस बात को समझना होगा कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में कुछ कंपनियां अच्छा प्रदर्शन नहीं करतीं। ऐसे अनेक मामले हैं जहां निजी कंपनियां अपने लिए संसाधन पैदा करने में विफल रही हैं। वे कर्ज के रूप में बैंकों (जिनमें ज्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक हैं) से पैसा लेती हैं और फिर उसे चुकाने में असमर्थ रहती हैं। एनपीए संकट का ये एक बड़ा कारण है। ऐसे अनेक उदाहरण है जिनमें सरकार ने करदाताओं के पैसों से निजी कंपनियों या बैंकों को उबारा है। ये निजी व्यवसायों को धन आपूर्ति का परोक्ष तरीका है। जबकि मुनाफा कमाने पर ये कंपनियां सरकार को टैक्स चुकाने के अलावा कुछ नहीं देतीं।
विरजेश ने कहा कि पब्लिक सेक्टर पर विचार करते समय हमें निष्पादन का पैमाना अपनाना चाहिए। महज मौद्रिक लाभ-हानि के आधार पर पीएसयू का आकलन करना गलत है। क्योंकि पीएसयू का मकसद निजी कंपनियों से अलग है। सार्वजनिक उपक्रमों की स्थापना देश की सेवा करने, लोगों को अच्छा रोजगार देने, बेहतर जीवन स्तर कायम करने, खपत को बढ़ावा देने तथा जिम्मेदार सामाजिक व्यवहार का प्रदर्शन करने के लिए की गई है।
एयर इंडिया के नफा-नुकसान का आकलन करते वक्त हमें इस बात को देखना होगा कि देश के सुदूर हिस्सों के यात्रियों को सेवा देने तथा देश को एक सूत्र में पिरोये रखने के लिए एयर इंडिया अनेक कम लाभ या नुकसान वाले रूटों पर भी अपनी उड़ाने भर रही है। कोई निजी एयरलाइन इन रूटों पर सेवाएं देना नहीं पसंद करेगी। देश के अनेक हवाई अड्डे सिर्फ एयर इंडिया की उड़ानों के बल पर चल रहे हैं। एयर इंडिया के निजीकरण कई शहर उड़ानों से वंचित हो सकते हैं।