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मंदी के दलदल में और धंसेगा रियल एस्टेट, परियोजनाओं की बढ़ती लागत बड़ी समस्या

ऑटोमोबाइल व FMCG क्षेत्र में मंदी के बाद Real Estate सेक्टर भी और मुश्किल में फंसता दिख रहा है। इस क्षेत्र में परियोजनाओं की बढ़ती लागत को फिलहाल सबसे बड़ी समस्या बताया गया है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Wed, 14 Aug 2019 10:08 AM (IST)Updated: Wed, 14 Aug 2019 10:08 AM (IST)
मंदी के दलदल में और धंसेगा रियल एस्टेट, परियोजनाओं की बढ़ती लागत बड़ी समस्या
मंदी के दलदल में और धंसेगा रियल एस्टेट, परियोजनाओं की बढ़ती लागत बड़ी समस्या

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। देश के रियल एस्टेट की स्थिति किसी से भी छिपी नहीं है। इस क्षेत्र की कम से कम छह बड़ी कंपनियां दिवालिया प्रक्रिया के दायरे में हैं। देशभर में लाखों मकान तैयार हैं, लेकिन इनके खरीदार नहीं है। बैंकों व वित्तीय संस्थानों ने कंपनियों को कर्ज देना बंद कर दिया है। परिसंपत्तियों की कीमत लगातार कम हो रही है। अब इस सेक्टर की स्थिति लगातार सामने लाने वाली एजेंसी नाइट फ्रैंक ने उद्योग संगठन फिक्की और रियल एस्टेट सेक्टर के संगठन नारेडको के साथ जो नया अध्ययन जारी किया है, वह भविष्य में हालात के और बिगड़ने की तरफ इशारा कर रही है।

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रिपोर्ट के मुताबिक मांग में कमी, अनबिके मकानों की बढ़ती संख्या और एनबीएफसी की समस्या का समाधान निकलता नहीं दिख रहा है। ऑटोमोबाइल और एफएमसीजी क्षेत्र के मंदी के दायरे में फंसने के बाद रियल एस्टेट सेक्टर भी और मुश्किल में फंसता दिख रहा है। इस क्षेत्र में परियोजनाओं की बढ़ती लागत को फिलहाल सबसे बड़ी समस्या बताया गया है। इस समस्या के लिए गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की तरफ से वित्त सुविधा के बंद होने को सबसे अहम वजह बताया गया है।

एनबीएफसी से कर्ज नहीं मिलने की वजह से कंपनियों को बाहर से महंगा कर्ज लेना पड़ रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक अभी हालात ऐसे हो गए हैं कि इस सेक्टर में गंभीरता से काम कर रही कंपनियों के लिए भी बैंकों व वित्तीय संस्थानों से कर्ज लेना आसान नहीं रह गया है। वैसे देश के सभी हिस्सों में निराशा का माहौल है लेकिन उत्तरी भारत में सबसे ज्यादा मंदी है। सर्वे में हिस्सा लेने वाली कंपनियों ने सबसे ज्यादा उत्तर भारत के रियल एस्टेट बाजार को लेकर निराशा जताई है।

सर्वे में शामिल वित्तीय संस्थानों की भी निराशा सामने आ रही है और इस सेक्टर की कंपनियों की भी।सर्वे में शामिल 74 फीसद उत्तरदाताओं ने कहा है कि अगले छह महीनों के दौरान आर्थिक स्थिति अभी जैसी ही है वैसी ही रहेगी, या और खराब होगी। यह समूचे रिएल एस्टेट से जुड़े तंत्र के भय को उजागर करता है। आवासीय इकाइयों की लांचिंग और उनकी बिक्री की स्थिति भी पहले से खराब हुई है। 69 फीसद का कहना है कि आवासीय इकाइयों की बिक्री में और गिरावट आने के आसार हैं।

आरबीआइ की तरफ से रेपो रेट में कटौती किए जाने के बावजूद बिक्री में कोई खास सुधार आने की गुंजाइश नहीं है। नाइट फ्रैंक के चेयरमैन व एमडी शिशिर बैजल का कहना है कि, ‘यह सर्वे साफ करता है कि क्यों रियल एस्टेट सेक्टर में मंदी है। ऑटो, एफएमसीजी जैसे सेक्टर भी मंदी के चपेट में हैं जिससे पता चलता है कि अर्थव्यवस्था में मंदी रियल एस्टेट सेक्टर से काफी आगे जा चुका है।’ इसी तरह से नारेडको के चेयरमैन निरंजन हीरानंदनी का मानना है कि, ‘दुनियाभर में रियल एस्टेट सेक्टर को आर्थिक गतिविधियों को एक साथ बढ़ाने वाला माना जाता है।

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