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राजस्व सचिव तरुण बजाज ने कहा, पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने में अभी लगेगा वक्त

ASSOCHAM के एक कार्यक्रम में राजस्‍व सचिव तरुण बजाज ने कहा कि केंद्र और राज्‍य सरकार के लिए पेट्रोल और डीजल राजस्‍व का एक महत्‍वपूर्ण जरिया है। इसे वस्‍तु एवं सेवा कर (GST) के दायरे में अभी वक्‍त लगेगा।

By Manish MishraEdited By: Published: Tue, 05 Jul 2022 08:41 AM (IST)Updated: Tue, 05 Jul 2022 08:41 AM (IST)
राजस्व सचिव तरुण बजाज ने कहा, पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने में अभी लगेगा वक्त
It will take time to bring petrol and diesel under the ambit of GST: Revenue Secretary

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राजस्व सचिव तरुण बजाज ने कहा है कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी (GST) के दायरे में लाने में अभी वक्त लगेगा। उन्होंने कहा कि पेट्रोल व डीजल केंद्र व राज्य दोनों के राजस्व का मुख्य जरिया है। जीएसटी में आने के बाद केंद्र व राज्य दोनों को अपने राजस्व के प्रभावित होने की आशंका है। इसलिए पेट्रोल व डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने में समय लग सकता है, लेकिन बाद में इसे जीएसटी के दायरे में लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि सभी वस्तुओं को एक ही समय में जीएसटी के दायरे में नहीं लाया जा सकता है। पेट्रोल व डीजल की लगातार बढ़ती कीमत को देखते हुए इसे जीएसटी के दायरे में शामिल करने की मांग लगातार उठती रही है।

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सोमवार को औद्योगिक संगठन एसोचैम के कार्यक्रम में बजाज ने कहा कि विलासिता से जुड़ी वस्तुओं पर 28 फीसद जीएसटी जारी रहेगा। लेकिन बाकी के पांच, 12 व 18 फीसद वाले तीन जीएसटी स्लैब को दो करने पर विचार के लिए हम तैयार है। उन्होंने कहा कि भारत जैसे विकासशील देश में लोगों की आय के बीच काफी अंतर है, इसलिए विलासिता संबंधी वस्तुओं पर 28 फीसद जीएसटी को जारी रखना जरूरी है। बजाज ने कहा कि पहले हम 5, 12 और 18 फीसद के स्लैब को दो स्लैब में बदल सकते हैं और फिर यह देखेंगे कि इस बदलाव का क्या असर होता है ताकि यह भी पता चल सकेगा कि भविष्य में जीएसटी का एक ही स्लैब किया जा सकता है या नहीं।

सूत्रों के मुताबिक 12 और 18 फीसद वाले दो जीएसटी स्लैब की जगह 15-16 फीसद का एक जीएसटी स्लैब लाया जा सकता है। गत 28-29 जून को चंडीगढ़ में आयोजित जीएसटी काउंसिल की बैठक में जीएसटी स्लैब के बदलाव पर विचार किया जाना था, लेकिन इसे अगले तीन माह के लिए टाल दिया गया है। फिलहाल महंगाई को देखते हुए भी जीएसटी स्लैब में बदलाव को टाला गया क्योंकि इससे महंगाई में बढ़ोतरी हो सकती थी।

सरकार राजकोषीय घाटे के लक्ष्य पर कायम 

वित्त मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक तमाम चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति मजबूत है। इसलिए सरकार राजकोषीय घाटे के अपने लक्ष्य पर कायम है। चालू वित्त वर्ष 2022-23 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.4 फीसद रहने का लक्ष्य रखा गया है । वित्त मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक कच्चे तेल की कीमत बढ़ने से निश्चित रूप से चालू खाते के घाटे में बढ़ोतरी होगी। अमेरिकी फेडरल बैंक की तरफ से ब्याज दर बढ़ाने से डॉलर के मुकाबले सभी करेंसी के मूल्य में गिरावट आई है और रुपया भी इससे प्रभावित हुआ है।


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