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बैंक ऑफ इंडिया और यूबीआइ की निगरानी रिजर्व बैंक ने बढ़ाई

सरकार ने पहले दौर में वर्ष 2016-17 के दौरान 13 बैंकों के लिए 22,915 करोड़ रुपये आवंटित किये थे

By Praveen DwivediEdited By: Published: Thu, 21 Dec 2017 11:27 AM (IST)Updated: Thu, 21 Dec 2017 11:27 AM (IST)
बैंक ऑफ इंडिया और यूबीआइ की निगरानी रिजर्व बैंक ने बढ़ाई

नई दिल्ली (पीटीआई)। भारतीय रिजर्व बैंक ने फंसे कर्ज यानी एनपीए को नियंत्रित करने में नाकामी के लिए बैंक ऑफ इंडिया (बीओआइ) और युनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआइ) पर सख्ती बढ़ा दी है। उसने तत्कालिक सुधारात्मक उपायों (पीसीए) के तहत बीओआइ पर नया कर्ज देने और लाभांश वितरण करने पर बंदिशें लगा दी है। आरबीआइ ने यूबीआइ पर पीसीए के तहत कड़ाई और बढ़ा दी है।

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बीओआइ ने स्टॉक एक्सचेंजों को जानकारी दी है कि पीसीए उपायों के तहत अगले मार्च में समाप्त वित्त वर्ष के दौरान उसकी जोखिम आधारित निगरानी की जाएगी। लगातार दो वर्षो तक एनपीए ज्यादा रहने, अपर्याप्त पूंजी और नकारात्मक रिटर्न के चलते यह कार्रवाई की गई है। बैंक ने उम्मीद जताई है कि इससे उसके जोखिम प्रबंधन, एसेट क्वालिटी, लाभप्रदता और कार्यकुशलता में सुधार होगा। मार्च 2017 में समाप्त वित्त वर्ष के दौरान बैंक का कुल एनपीए बढ़कर 13.22 फीसद हो गया। जबकि इससे पिछले वर्ष में उसका एनपीए 13.07 फीसद था। हालांकि शुद्ध एनपीए 7.79 फीसद से घटकर 6.90 फीसद रह गया।

यूबीआइ ने भी स्टॉक एक्सचेंजों को जानकारी दी है कि आरबीआइ ने उसके खिलाफ अतिरिक्त कड़ाई के लिए 19 दिसंबर को पत्र जारी किया है। आरबीआइ की कड़ाई का फोकस बैंक का मुनाफा सुधारना, पूंजी में वृद्धि, क्रेडिट पोर्टफोलियो में विविधता, तार्किक विस्तारीकरण और लागत नियंत्रण पर होगा। बैंक ने कहा है कि वह ग्राहकों से जमा लेने, कर्ज देने और ट्रेजरी कामकाज जैसी गतिविधियां पूर्ववत करता रहेगा। आरबीआइ आइडीबीआइ बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और यूको बैंक पर भी इसी तरह की कार्रवाई कर चुका है।

प्रदर्शन खराब रहने से बैंकों को मिल पाई कम पूंजी

वित्त मंत्रालय ने कहा है कि उसने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को पूंजी बढ़ाने के लिए पूरी रकम मुहैया नहीं कराई है क्योंकि ज्यादातर बैंक अपने प्रदर्शन का लक्ष्य हासिल करने में नाकाम रहे। सरकार ने पिछले बजटों में इंद्रधनुष योजना के तहत बैंकों को मजबूत बनाने के लिए 70 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया था। इस योजना के अनुसार बैंकों को वर्ष 2015-16 और 2016-17 के दौरान 25,000-25,000 करोड़ रुपये और वर्ष 2017-18 और 2018-19 में 10,000-10,000 करोड़ रुपये पूंजी देने की योजना थी। लेकिन सरकार ने अब तक बैंकों में कुल 51,828 करोड़ रुपये पूंजी डाली है। सरकार ने पहले दौर में वर्ष 2016-17 के दौरान 13 बैंकों के लिए 22,915 करोड़ रुपये आवंटित किये थे। लेकिन उन्हें करीब 75 फीसद यानी 16,414 करोड़ रुपये ही दिये गये। बकाया राशि बैंकों के प्रदर्शन के आधार पर दी जानी थी। लेकिन कोई बैंक तय लक्ष्य हासिल नहीं कर पाया इसलिए बाकी 25 फीसद धनराशि बैंकों को नहीं दी गई।


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