भारत में 1980 के बाद से आय में असमानता उच्च स्तर पर: रिपोर्ट
वर्ल्ड इनइक्वैलिटी लैब की रिपोर्ट के अनुसार देश में तेजी से आय की असमानता बढ़ रही है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। भारत में आय की असमानता ऐतिहासिक रूप से उच्च स्तर पर पहुंच गई है। एक अध्ययन के अनुसार 0.1 फीसद सबसे अमीर लोगों की संपदा 50 फीसद सबसे गरीब आबादी की कुल संपत्ति से भी ज्यादा हो गई है। वर्ल्ड इनइक्वैलिटी लैब के अध्ययन में कहा गया है कि वर्ष 1980 से आर्थिक असमानता तेजी से बढ़ रही है।
उसके अध्ययन में कहा गया है कि इस अवधि में असमानता 1947 में देश की आजादी के बाद के तीन दशकों के रुझान से विपरीत है। इन तीन दशकों में असमानता कम हुई थी। देश के 50 फीसद सबसे गरीब लोगों की आमदनी राष्ट्रीय औसत से कहीं तेज रफ्तार से बढ़ी थी। यह रिपोर्ट अर्थशास्त्री फैकुंडो एलवारेडो, लुकास चैनसेल, थॉमस पिकेटी, इमैनुअल सैज और गैब्रियल जुकमैन ने तैयार की है। इसमें पिछले 40 वर्षों में ग्लोबलाइजेशन के असमान असर को दर्शाया गया है। यह अध्ययन आय और संपदा में असमानता के सबसे विशाल आंकड़ों पर किया गया है। इसका उद्देश्य आर्थिक असमानता पर वैश्विक स्तर पर लोकतांत्रिक बहस के जरिये इन तथ्यों से दुनिया को अवगत कराना है।
वर्ष 2016 में जो भारत में आय असमानता का स्तर है वह सब-सहारान अफ्रीका और ब्राजिल के स्तर के जैसा है। यहां पर सबसे ज्यादा कमाने वालों के पास आय की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा थी। रिपोर्ट के अनुसार देश में आय असमानता रूस और चीन की तुलना में देरी से बढ़ी है। यूरोप को सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले क्षेत्र माना गया है। यह पर सबसे ज्यादा कमाने वाला समूह देश की कुल आय में 37 फीसद हिस्सा रखता है। वहीं, चीन 41 फीसद, रूस 46 फीसद और यूएस-कनाडा 47 फीसद हिस्सा रखता है।