राफेल सौदा : रिलायंस व दासौ एविएशन के बीच हुई पार्टरनशिप
भारत और फ्रांस ने 23 सितंबर को 36 राफेल लड़ाकू जेट के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। यह सौदा 7.87 अरब यूरो का है।
नई दिल्ली, प्रेट्र । देश के निजी रक्षा उद्योग के क्षेत्र में एक बड़े सौदे के तहत अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस ग्रुप और राफेल विमान निर्माता दासौ एविएशन ने ज्वाइंट वेंचर (जेवी) का एलान किया है। दासौ रिलायंस एयरोस्पेस नाम का यह संयुक्त उद्यम लड़ाकू जेट सौदे के तहत 22,000 करोड़ रुपये के ऑफसेट कांट्रैक्ट को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएगा।
भारत और फ्रांस ने 23 सितंबर को 36 राफेल लड़ाकू जेट के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। यह सौदा 7.87 अरब यूरो (करीब 59,000 करोड़ रुपये) का है। देश में अब तक का यह सबसे बड़ा ऑफसेट कांट्रैक्ट है। दो पक्षों के बीच होने वाले ऐसे कांट्रैक्ट अतिरिक्त लाभ प्रदान करते हैं और यह अन्य अनुबंधित करार का सहायक होता है। करार में 50 फीसद ऑफसेट बाध्यता है।
ऑफसेट एग्रीमेंट का मुख्य बिंदु यह है कि इसमें 74 फीसद भारत से आयात किया जाएगा। इसका मतलब है कि करीब 22,000 करोड़ रुपये का सीधा कारोबार होगा। इसमें टेक्नोलॉजी-शेयरिंग की भी बात है। इस पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ चर्चा हो रही है। राफेल सौदे में अन्य कंपनियां भी हैं। इनमें फ्रांस की एमबीडीए और थेल्स शामिल हैं। रिलायंस ग्रुप ने जनवरी 2015 में ही रक्षा क्षेत्र में प्रवेश किया है। इस लिहाज से यह घटनाक्रम उसके लिए खासा महत्वपूर्ण है।
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