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रिलायंस इंडस्ट्रीज का अबू धाबी पेट्रोरसायन केंद्र में निवेश के लिए हुआ समझौते, निवेश राशि के बारे नहीं हुआ खुलासा

ADNOC reliance partnership कंपनी ने कहा कि परियोजना का संचालन टीएजेडआईजेड औद्योगिक रसायन क्षेत्र में किया जाएगा जो एडीएनओसी और एडीक्यू के बीच एक संयुक्त उद्यम है। निवेश राशि के बारे में हालांकि कोई जानकारी नहीं दी गई।

By NiteshEdited By: Published: Wed, 30 Jun 2021 07:52 AM (IST)Updated: Wed, 30 Jun 2021 11:27 AM (IST)
रिलायंस इंडस्ट्रीज का अबू धाबी पेट्रोरसायन केंद्र में निवेश के लिए हुआ समझौते, निवेश राशि के बारे नहीं हुआ खुलासा
निवेश राशि के बारे में हालांकि कोई जानकारी नहीं दी गई

नई दिल्ली, पीटीआइ। रिलाइंस इंडस्ट्रीज ने अबू धाबी पेट्रोरसायन केन्द्र में निवेश के लिये समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। कंपनी ने एक बयान में बताया कि तेल से लेकर दूरसंचार सेवायें देने वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी की रुवाइस परियोजना में शामिल होगी। निवेश राशि के बारे में हालांकि कोई जानकारी नहीं दी गई।

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कंपनी ने कहा, 'अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (एडीएनओसी) ने रिलायंस के रुवाइस, अबू धाबी में टीएजेडआईजेड में एक नए विश्व-स्तरीय क्लोर क्षार, एथिलीन डाइक्लोराइड और पॉलीविनाइल क्लोराइड (पीवीसी) उत्पादन सुविधा में शामिल होने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।' बयान में समझौते की रकम के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई।

कंपनी ने कहा कि परियोजना का संचालन टीएजेडआईजेड औद्योगिक रसायन क्षेत्र में किया जाएगा, जो एडीएनओसी और एडीक्यू के बीच एक संयुक्त उद्यम है।

बयान में कहा गया, 'यह समझौता महत्वपूर्ण औद्योगिक कच्चे माल की बढ़ती मांग को भुनाने और वैश्विक औद्योगिक तथा ऊर्जा प्रमुख के रूप में एडीएनओसी और रिलायंस की ताकत को मजबूत करने में मदद करेगा।'

पेट्रोकेमिकल, रिफाइनिंग और गैस विकास परियोजनाएं मौजूदा समय में निर्माणाधीन हैं, कई परियोजनाएं भी हाल ही में डाउनस्ट्रीम और उद्योग पोर्टफोलियो में पूरी हुई हैं। समझौते की शर्तों के तहत, TA'ZIZ और रिलायंस सालाना 940 हजार टन क्लोर-क्षार, 11 मिलियन टन एथिलीन डाइक्लोराइड और 360 हजार टन पीवीसी का उत्पादन करने की क्षमता के साथ एक एकीकृत संयंत्र का निर्माण करेंगे।

एथिलीन डाइक्लोराइड का उपयोग आमतौर पर पीवीसी के उत्पादन के लिए किया जाता है, जिसमें आवास, बुनियादी ढांचे और उपभोक्ता वस्तुएं शामिल हैं। इन रसायनों के बाजार में विशेष रूप से एशिया और अफ्रीका में बढ़ती मांग की जरूरतों से वृद्धि की उम्मीद है।


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