बन सकती है ई कॉमर्स सेक्टर के लिए रेगुलेटरी अथॉरिटी, ई-कामर्स कंपनियों के कामकाज के तरीकों पर सवाल
ई-कामर्स सेक्टर पर नजर रखने वाले जानकारों का मानना है कि मौजूद व्यवस्था में भी ग्राहकों की चिंताओं का समाधान करने के उपाय मौजूद हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार ई-कामर्स कारोबार को नियंत्रित करने के लिए एक रेगुलेटरी अथॉरिटी बनाने की संभावनाएं तलाश रही है। घरेलू खुदरा कारोबारियों की तरफ से उठाये जा रहे सवालों के बाद सरकार में इस बात की धारणा बनी है कि पूरे सेक्टर के लिए एक नियामक प्राधिकरण का गठन कर दिया जाए।वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक सरकार ई-कामर्स सेक्टर के लिए नीति तैयार करने पर काम कर रही है। इसमें कई मुद्दों पर विचार हो रहा है। इसमें यह मुद्दा भी शामिल है।
सरकार खुदरा कारोबारियों की इस मांग पर भी विचार कर रही है और इस बात की संभावना तलाश रही है कि क्या ऐसा कोई प्रावधान संभव है? अभी इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। मंत्रालय केवल इस आशय की मांग की समीक्षा कर रही है। सरकार ने फरवरी में ही ई-कामर्स नीति का मसौदा सार्वजनिक किया था। खुदरा कारोबारियों के संगठन कैट ने ई-कामर्स कंपनियों पर नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए एक रेगुलेटरी अथॉरिटी गठित करने की मांग की थी।
खासतौर पर दिवाली के दौरान ई-कामर्स क्षेत्र की तीनों बड़ी कंपनियों अमेजन, फ्लिपकार्ट और क्लब फैक्टरी की तरफ से आयोजित सेल को लेकर आपत्ति की गई थी। खुदरा कारोबारियों ने आरोप लगाया था कि ये कंपनियां प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) के नियमों का उल्लंघन कर रही है। ई-कामर्स सेक्टर पर नजर रखने वाले जानकारों का मानना है कि मौजूद व्यवस्था में भी ग्राहकों की चिंताओं का समाधान करने के उपाय मौजूद हैं। वैसे भी ई-कामर्स समूचे रिटेल कारोबार का बहुत छोटा हिस्सा है। इसलिए जो नियम रिटेल कारोबार पर लागू होते हैं वही ई-कामर्स के लिए भी हैं।