नए बैंक खोलने में जल्दबाजी नहीं: पी चिदंबरम
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। वित्त मंत्री पी चिदंबरम भले ही लाख दबाव बनाएं, लेकिन नए बैंकिंग लाइसेंस देने को लेकर रिजर्व बैंक [आरबीआइ] किसी भी प्रकार की जल्दबाजी में नहीं है। अर्थव्यवस्था की सुस्ती और हाल ही में निजी बैंकों में मनी लांड्रिंग की घटनाओं को देखते हुए केंद्रीय बैंक अब फूंक-फूंक कर कदम उठा रहा है। यही वजह है कि आरबीआइ ने यह स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि वह फिलहाल बेहद गिने-चुने नए बैंकिंग लाइसेंस देने के ही पक्ष में है। ये लाइसेंस कब तक दिए जाएंगे, इस बारे में भी केंद्रीय बैंक चुप्पी साधे हुए है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। वित्त मंत्री पी चिदंबरम भले ही लाख दबाव बनाएं, लेकिन नए बैंकिंग लाइसेंस देने को लेकर रिजर्व बैंक [आरबीआइ] किसी भी प्रकार की जल्दबाजी में नहीं है। अर्थव्यवस्था की सुस्ती और हाल ही में निजी बैंकों में मनी लांड्रिंग की घटनाओं को देखते हुए केंद्रीय बैंक अब फूंक-फूंक कर कदम उठा रहा है। यही वजह है कि आरबीआइ ने यह स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि वह फिलहाल बेहद गिने-चुने नए बैंकिंग लाइसेंस देने के ही पक्ष में है। ये लाइसेंस कब तक दिए जाएंगे, इस बारे में भी केंद्रीय बैंक चुप्पी साधे हुए है।
नए बैंकिंग लाइसेंस को लेकर आरबीआइ की ओर से सोमवार को अंतिम स्पष्टीकरण जारी किए गए हैं। भारत में बैंक खोलने की तैयारियों में जुटी रिलायंस, टाटा जैसी कंपनियों को आरबीआइ ने आगाह किया है कि वह लाइसेंस देने के लिए काफी कठोर मापदंड अपनाएगा। साथ ही यह भी जरूरी नहीं है कि हर मापदंड पर खरा उतरने वाली कंपनी को बैंकिंग लाइसेंस मिल ही जाए। नए लाइसेंस कब तक जारी किए जाएंगे, इस बारे में भी आरबीआइ ने साफ तौर पर कुछ नहीं कहा है।
शायद ही केंद्रीय बैंक की यह साफगोई वित्त मंत्रालय को पसंद आए, क्योंकि वित्त मंत्रालय विदेशी निवेशकों को सकारात्मक संकेत देने के लिए लगातार यह दबाव बनाए हुए है कि नए बैंकिंग लाइसेंस देने में देरी न की जाए। सरकार को इससे विदेशी निवेश आने के भी आसार हैं। रिजर्व बैंक पहले संबंधित कानून में संशोधन होने की दुहाई देता रहा। अब जब सरकार की तरफ से बैंकिंग अधिनियम में आवश्यक संशोधन कर दिए गए हैं, तब भी आरबीआइ तेजी नहीं दिखा रहा।
बहरहाल, केंद्रीय बैंक ने लाइसेंस हासिल करने की हसरत रखने वाली कंपनियों को छह महीने की मोहलत दी है। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि जिन कंपनियों को सैद्धांतिक तौर पर बैंकिंग लाइसेंस दिया जाएगा, वे डेढ़ वर्ष के भीतर बैंक खोल सकेंगी। पहले कंपनियों को एक वर्ष के भीतर बैंक शाखा खोलने की इजाजत दी गई थी। कंपनियों ने कहा है कि सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के बावजूद उन्हें तमाम तैयारियां करनी पड़ेंगी, जिसमें वक्त लग सकता है। इसके साथ ही आरबीआइ ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर लाइसेंस लेने वाली कंपनी की कुछ ऐसी गतिविधियां हैं, जिनकी निगरानी सेबी या इरडा जैसी नियामक एजेंसियां कर रही हैं तो इन एजेंसियों की निगरानी पहले की तरह ही जारी रहेगी। लेकिन मुख्य तौर पर बैंकिंग गतिविधियों पर आरबीआइ का फैसला ही अंतिम होगा।