NPA वसूली के नए दिशानिर्देश जारी, 30 दिन में डिफॉल्ट की पहचान करेंगे बैंक
इनके तहत बैंकों को डिफॉल्ट की पहचान करने के लिये 30 दिन का समय दिया जाएगा। नए दिशानिर्देश तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों के फंसे कर्ज की वसूली को लेकर शुक्रवार को नए दिशानिर्देश जारी किये। इनके तहत बैंकों को डिफॉल्ट की पहचान करने के लिये 30 दिन का समय दिया जाएगा। नए दिशानिर्देश तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं।
आरबीआइ ने शुक्रवार को कहा कि फंसे कर्ज की शीघ्र पहचान, सूचना देने और समयबद्ध ढंग से उसे वसूलने का फ्रेमवर्क उपलब्ध कराने के मकसद से नए दिशानिर्देश ‘प्रूडेंशियल फ्रेमवर्क फॉर रिजोल्यूशन ऑफ स्ट्रैस्ड असेट’ जारी किए गए हैं। इनके प्रभाव में आने के बाद पहले से चले आ रहे उपाय अमान्य हो जाएंगे। इनमें कॉरपोरेट कर्ज पुर्नसरचना योजना, वर्तमान दीर्घकालिक परियोजना लोन की पुर्नसरचना, रणनीतिक कर्ज पुर्नसरचना योजना (एसडीआर), एसडीआर के बाहर स्वामित्व में बदलाव, स्कीम फॉर सस्टेनेबल ऑफ स्ट्रेस्ड असेट्स (एस4ए) और ज्वाइंट लेंडर्स फोरम शामिल हैं।
ऐसा है नया फ्रेमवर्क : नए फ्रेमवर्क से उन बैंकों को थोड़ी राहत मिल जाएगी, जिनका पूंजी आधार छोटा है। नया फ्रेमवर्क व्यवसायिक बैंकों, नाबार्ड, एग्जिम बैंक और सिडबी जैसे वित्तीय संस्थानों, स्मॉल फाइनेंस बैंकों और जमा राशि स्वीकार न करने वाली महत्वपूर्ण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) पर लागू होगा। अब कर्जदाताओं को दिए कर्ज के 35 फीसद की प्रोविजनिंग करनी ही होगी। इनमें 20 फीसद की प्रोविजनिंग डिफॉल्ट होने के शुरुआती 180 दिनों के भीतर करनी होगी। अगर कर्जदाता 365 दिनों के भीतर किसी समाधान पर पहुंचने में विफल रहते हैं, तो उन्हें शेष 15 फीसद की प्रोविजनिंग करनी होगी।
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