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इकोनॉमी संभालने के लिए आरबीआइ ने दी नियमों में ढील, बढ़ाई WMA की सीमा

RBI ने बुधवार को कोरोना महामारी के आर्थिक असर से निपटने के लिए नए उपायों की घोषणा की जिसमें निर्यात आय की प्राप्ति और स्वदेश भेजने की अवधि में बढ़ोतरी शामिल है।

By Manish MishraEdited By: Published: Thu, 02 Apr 2020 08:39 AM (IST)Updated: Thu, 02 Apr 2020 08:39 AM (IST)
इकोनॉमी संभालने के लिए आरबीआइ ने दी नियमों में ढील, बढ़ाई WMA  की सीमा
इकोनॉमी संभालने के लिए आरबीआइ ने दी नियमों में ढील, बढ़ाई WMA की सीमा

मुंबई, पीटीआइ। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को कोरोना महामारी के आर्थिक असर से निपटने के लिए नए उपायों की घोषणा की, जिसमें निर्यात आय की प्राप्ति और स्वदेश भेजने की अवधि में बढ़ोतरी शामिल है। RBI ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को डब्ल्यूएमए के तहत देने वाले अग्रिम की सीमा 30 प्रतिशत बढ़ा दी है।

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RBI ने एक बयान में कहा कि वर्तमान में निर्यातकों द्वारा वस्तुओं और सॉफ्टवेयर निर्यात की पूरी राशि को निर्यात की तारीख से नौ महीने के भीतर देश में लाना होता है। कोविड-19 महामारी से आई दिक्कतों के चलते 31 जुलाई, 2020 तक किए गए निर्यात से होने वाली आय देश में लाने की अवधि निर्यात की तारीख से 15 महीने के लिए बढ़ा दी गई है। इससे निर्यातकों को उन देशों से भुगतान हासिल करने में आसानी होगी, जो अभी कोरोना संकट से जूझ रहे हैं।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने RBI के नए फैसले पर कहा है कि इससे निर्यातकों को बेहद राहत मिलेगी। आरबीआइ ने डब्ल्यूएमए की समीक्षा के लिए समिति गठित की थी। नई संशोधित सीमा 30 सितंबर तक के लिए मान्य होगी। मंगलवार को आरबीआइ ने केंद्र सरकार के लिए डब्ल्यूएमए की सीमा जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए 70,000 करोड़ रुपये रखी थी, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 60,000 करोड़ रुपये थी।

यह होता है डब्ल्यूएम

एसरकार पूरे वित्त वर्ष का बजट बनाती है। उस समय वह अनुमान लगाती है कि हर माह लगभग कितनी राशि खर्च होगी और कितनी खजाने में आएगी। लेकिन कभी-कभी बीच में ऐसी स्थिति बन जाती है जब खजाने में राशि कम आती है और खर्च ज्यादा होता है। हालांकि ऐसा थोड़े समय के लिए होता है। लेकिन ऐसी स्थिति से निपटने को सरकार बाजार से उधार उठाने के बजाय आरबीआइ से कर्ज ले लेती है जिसे 'वेज एंड मींस' यानी डब्ल्यूएमए एडवांस कहते हैं।


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