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स्विफ्ट तकनीक को लेकर RBI ने बैकों से किया सवाल, पूछा खामियों को दूर किया या नहीं

पीएनबी, एसबीआइ समेत तमाम बैंक पहले ही दावा कर चुके हैं कि उन्होंने नीरव मोदी और उसके अन्य रिश्तेदारों की तरफ से जिस तकनीकी खामी के आधार पर धोखाधड़ी की गई थी, उसे दूर कर लिया है

By Surbhi JainEdited By: Published: Thu, 06 Sep 2018 01:03 PM (IST)Updated: Thu, 06 Sep 2018 01:03 PM (IST)
स्विफ्ट तकनीक को लेकर RBI ने बैकों से किया सवाल, पूछा खामियों को दूर किया या नहीं
स्विफ्ट तकनीक को लेकर RBI ने बैकों से किया सवाल, पूछा खामियों को दूर किया या नहीं

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। फरवरी, 2018 में उद्योगपति नीरव मोदी ने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को चूना लगाने के लिए जिस तकनीक का इस्तेमाल किया था, उसको लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने एक बार फिर बैंकों से सवाल पूछे हैं। आरबीआइ ने हाल ही में देश के कुछ बड़े बैंकों को पत्र लिखकर यह पूछा है कि उन्होंने विदेश में ग्राहकों को पैसा ट्रांसफर करने की तकनीक स्विफ्ट (सोसायटी फॉर वल्र्डवाइड फाइनेंशियल टेलीकम्यूनिकेशंस) की खामियों को दूर किया है या नहीं। वैसे पीएनबी, एसबीआइ समेत तमाम बैंक पहले ही दावा कर चुके हैं कि उन्होंने नीरव मोदी और उसके अन्य रिश्तेदारों की तरफ से जिस तकनीकी खामी के आधार पर धोखाधड़ी की गई थी, उसे दूर कर लिया है।

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स्विफ्ट तकनीक की मदद से एक बैंक से कुछ ही मिनटों में विदेश स्थित दूसरे बैंकों की शाखाओं को पैसा ट्रांसफर हो जाता है। नीरव मोदी और मेहुल चोकसी ने बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से इस तकनीक में एक खामी तलाश ली थी। वे इसके जरिये पैसा जो दूसरे बैंक खातों में ट्रांसफर करते थे लेकिन वह पैसा पीएनबी के कोर बैंकिंग सिस्टम में तत्काल नहीं दिखाया जाता था। सीबीआइ की तरफ से मोदी व चोकसी के खिलाफ दायर चार्जशीट में इन खामियों का खुलासा किया गया था। इन खामियों को दुरुस्त करने के लिए आरबीआइ पिछले साल अगस्त से इस साल फरवरी के बीच तीन बार सभी बैंकों को ताकीद कर चुका था लेकिन फिर भी बैंकों ने इस पर ध्यान नहीं दिया था। वैसे अब ये तमाम बैंक कहते हैं कि उन्होंने स्विफ्ट को दुरुस्त कर लिया है और अब इसके जरिये कोई भी वित्तीय लेनदेन बगैर कोर बैंकिंग सिस्टम के नहीं होगा। साथ ही स्विफ्ट सिस्टम के संचालन में एक निश्चित अंतराल पर कर्मचारियों को बदल दिया जाता है ताकि वे बड़े खाताधारकों के साथ कोई संपर्क नहीं बना सकें।

आरबीआइ ने इस घोटाले के सामने आने के बाद मशहूर वित्तीय विश्लेषक व आरबीआइ निदेशक बोर्ड के पूर्व सदस्य वाइएस मालेघम की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति भी बनाई थी। समिति को कहा गया था कि वह बैंकिंग फ्रॉड रोकने के साथ ही कर्ज नहीं चुकाने वाले बड़ी कंपनियों की गतिविधियों को समय से पहचानने पर भी अपनी सिफारिशें दे। समिति की रिपोर्ट का इंतजार है जिसके आधार पर माना जा रहा है कि आरबीआइ नीरव मोदी जैसी धांधली करने वाले उद्योगपतियों को सिस्टम से बाहर करने संबंधी कदम उठाएगा।


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