महंगाई बढ़ने से ब्याज दरें घटने की उम्मीद को झटका, पढ़िए एक्सपर्ट की राय
5-6 दिसंबर को होने वाली आरबीआई की एमपीसी बैठक में आरबीआई ब्याज दरों को एक बार फिर से यथावत रख सकता है
नई दिल्ली (प्रवीण द्विवेदी)। इस हफ्ते जारी हुए महंगाई के आंकड़ों ने ब्याज दरों में बदलाव की गुंजाइश को काफी कम कर दिया है। अक्टूबर महीने में थोक महंगाई दर 3.59 फीसद रही है जबकि खुदरा महंगाई दर 3.58 फीसद रही। इन आंकड़ों को देखते हुए यह संभव है कि आरबीआई अपनी अगली एमपीसी बैठक में ब्याज दरों में कोई बड़ा बदलाव न करे। एमपीसी की अगली बैठक 5-6 दिसंबर को होनी है।
क्या कहते हैं बैंकिंग एक्सपर्ट: पंजाब नेशनल बैंक के पूर्व चीफ जनरल मैनेजर उदय शंकर भार्गव ने बताया कि महंगाई के आंकड़ों में कोई बड़ा अंतर तो देखने को नहीं मिला है लेकिन यह कहा जा सकता है कि भारतीय रिजर्व बैंक अपनी अगली एमपीसी बैठक में ब्याज दरों मे कोई बड़ा बदलाव नहीं करेगा। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि महंगाई के आंकड़े ज्यादा आने के कारण सस्ते कर्ज की उम्मीद कम होती है ऐसा फिलहाल तो बिल्कुल नहीं है, क्योंकि नोटबंदी के बाद से बैंकों के पास भारी मात्रा मे कैश है। ऐसे सूरत में भी अगर बैंक कर्ज सस्ता नहीं कर रहे हैं तो इसके पीछे की प्रमुख वजहों में फंड की स्थिति, एनपीए का बढ़ता दायरा और कैपिटल एडिक्वेशी रेश्यो हो सकता है।
आरबीआई के पास ब्याज दरों में कमी की गुंजाइश कम: एक्सकॉर्ट सिक्योरिटी के रिसर्च हैड आसिफ इकबाल ने बताया कि आरबीआई की ओर से ब्याज दरों को यथावत रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि आरबीआई के पास ब्याज दरों में कमी करने की गुंजाइश काफी कम है और ब्याज दरों में इजाफा होना भी मौजूदा लिहाज से मुश्किल नजर आ रहा है। क्योंकि अगर आरबीआई ब्याज दरों को बढ़ाएगा तो महंगाई दर में और इजाफा हो सकता है। ऐसे में आरबीआई को ग्रोथ और इंटरेस्ट में से किसी एक को चुनना होगा। उन्होंने बताया कि महंगाई के आंकड़ों में सबसे अहम बात फ्यूल (10.52 फीसद) से जुड़ी महंगाई में इजाफा होना है। आसिफ ने बताया कि क्रूड फिलहाल 62 से 63 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि महंगाई के आंकड़ों का यह स्तर जारी रह सकता है और हो सकता है जनवरी के आस पास यह 4 फीसद के स्तर तक चली जाए। इस समय आरबीआई के सामने क्रूड और इन्फ्लेशन दो मुश्किल चुनौतियां हैं जो रुपए पर दबाव बना रही हैं। वहीं अगर अमेरिकी फेड रिजर्व ब्याज दरों में इजाफा करता है तो विदेशी निवेशक भारत से पैसा निकालकर अमेरिका में निवेश करने का रुख कर सकते हैं। यह भारत के लिए काफी गंभीर चुनौती होगी।
क्या रहे महंगाई के आंकड़े:
थोक महंगाई: थोक महंगाई के मोर्चे पर भी आम लोगों के लिए राहत की खबर नहीं आई है। मासिक आधार पर अक्टूबर महीने में थोक महंगाई दर 2.60 (सितंबर) से बढ़कर 3.59 फीसद रही है। दालों की महंगाई दर (-)31.05 फीसद रही जो कि मासिक आधार पर सितंबर महीने में (-) 24.26 फीसद रही थी। वहीं सब्जियों से जुड़ी महंगाई दर 36.61 फीसद रही जो कि मासिक आधार पर सितंबर महीने में 15.48 फीसद रही थी। हालांकि कोर महंगाई ने थोड़ी राहत जरूर दी है, यह 3 फीसद से घटकर 2.9 फीसद रही है।
खुदरा महंगाई: महंगे खाद्य सामान, विशेषकर के सब्जियों के दाम ने रिटेल महंगाई को सात महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचा दिया है। अक्टूबर महीने में रिटेल महंगाई दर बढ़कर 3.58 फीसद रही है। आपको बता दें कि सीपीआई (कंज्यूमर प्राइज इंडेक्स) आधारित महंगाई दर सितंबर महीने में 3.28 फीसद रही थी। इसका पिछला उच्चतम स्तर 3.89 फीसद का रहा जो कि इसी साल मार्च महीने में देखने को मिला था। वहीं, महीने दर महीने आधार पर अक्टूबर में कोर महंगाई दर 4.6 फीसद से घटकर 4.5 फीसद रही है।
आरबीआई की पिछली बैठक में क्या हुआ: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी पिछली समीक्षा बैठक में ब्याज दरों को यथावत रखने का फैसला किया था। आरबीआई ने रेपो रेट को 6 फीसद पर और रिवर्स रेपो रेट को 5.75 फीसद पर बरकरार रखा। इसके साथ ही आरबीआई ने इकोनॉमिक ग्रोथ का अनुमान घटाकर 6.7 फीसद कर दिया था।
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