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मौद्रिक दरों में कटौती की गुंजाइश अब भी, लेकिन सही समय पर इस साधन के इस्तेमाल की है जरूरतः आरबीआई गवर्नर

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि कमजोर घरेलू और बाह्य मांग के बीच क्षमता के समुचित इस्तेमाल नहीं हो पाने से निवेश मांग को जल्द रिवाइव करने में देरी होने की संभावना है। (PC ANI)

By Ankit KumarEdited By: Published: Thu, 20 Aug 2020 07:23 PM (IST)Updated: Fri, 21 Aug 2020 08:06 AM (IST)
मौद्रिक दरों में कटौती की गुंजाइश अब भी, लेकिन सही समय पर इस साधन के इस्तेमाल की है जरूरतः आरबीआई गवर्नर
मौद्रिक दरों में कटौती की गुंजाइश अब भी, लेकिन सही समय पर इस साधन के इस्तेमाल की है जरूरतः आरबीआई गवर्नर

मुंबई, पीटीआइ। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास के मुताबिक अभी मौद्रिक दरों में कमी की गुंजाइश बनी हुई है। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस साधन का इस्तेमाल आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए सोच-समझकर किए जाने की जरूरत है। उल्लेखनीय है कि देश की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार कोविड-19 महामारी से बहुत अधिक प्रभावित हुई है। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीति की बैठक के विवरण गुरुवार को साझा किए गए, जिसमें आरबीआई गवर्नर के इस रुख का उल्लेख मिलता है। इस महीने की शुरुआत में दास की अध्यक्षता में आयोजित MPC की बैठक में रेपो रेट को चार फीसद पर यथावत रखने का फैसला किया गया था।  

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हालांकि, MPC ने अपना रुख उदार बनाये रखा था। इससे भविष्य में कोविड-19 महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिये जरूरत पड़ने पर दरों में कटौती की गुंजाइश के संकेत मिलते हैं।

बैठक के ब्योरे के मुताबिक दास ने यह भी कहा था कि आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति को लेकर किसी भी स्पष्ट अनुमान तक पहुंचने के लिए फिलहाल इंतजार करना बेहतर होगा। दास ने कहा, ''वृद्धि और मुद्रास्फीति के आउटलुक को लेकर मजबूत आकलन का इंतजार करना अभी विवेकपूर्ण होगा, क्योंकि इकोनॉमी धीरे-धीरे खुल रही है, आपूर्ति में अड़चनें कम हो रही हैं और मूल्य की जानकारियां प्रदान करने का स्वरूप स्थिर हो रहा है।"

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आरबीआई गवर्नर ने कहा कि कमजोर घरेलू और बाह्य मांग के बीच क्षमता के समुचित इस्तेमाल नहीं हो पाने से निवेश मांग को जल्द रिवाइव करने में देरी होने की संभावना है। दास के मुताबिक आर्थिक वृद्धि की रफ्तार में तेज गिरावट की आशंका वाली स्थिति में खाद्य और ईंधन को छोड़कर पूरे खाद्य व उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर दबाव गंभीर चिंता का विषय है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा, ''जैसा कि मैं अक्टूबर 2019 से बार-बार कह रहा हूं कि मौद्रिक नीति को आर्थिक सुधार प्रक्रिया का मजबूती देने के लिए तैयार किया गया है। हालांकि, अभी मौद्रिक नीति के तहत दरें कम करने की गुंजाइश है, लेकिन इस स्थिति में इस साधन को बचाए रखना और जरूरत पड़ने पर विवेकपूर्ण तरीके से उसका उपयोग करना अहम है।''


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