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चालू वित्त वर्ष में भारत की GDP वृद्धि की रफ्तार रह जाएगी 2 फीसद के आसपास: ICRA का अनुमान

Icra ने कहा है कि कोरोनावायरस महामारी की वजह से घरेलू स्तर पर मांग में कमी देखने को मिली सकती है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Tue, 07 Apr 2020 08:46 PM (IST)Updated: Wed, 08 Apr 2020 07:17 AM (IST)
चालू वित्त वर्ष में भारत की GDP वृद्धि की रफ्तार रह जाएगी 2 फीसद के आसपास: ICRA का अनुमान

मुंबई, पीटीआइ। कोविड-19 संकट को देखते हुए Icra Ratings ने मंगलवार को चालू वित्त वर्ष में भारत के आर्थिक वृद्धि के अनुमान में भारी कटौती की। एजेंसी के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में देश की GDP वृद्धि की रफ्तार दो फीसद के आसपास रहेगी। रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि कोरोनावायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन से उद्योगों पर असर पड़ा है और उनके ऑपरेशन लगभग ठप पड़ गए हैं। रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि वित्त वर्ष 2020-21 में देश की जीडीपी वृद्धि की रफ्तार महज दो फीसद के आसपास रह सकती है।

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विभिन्न संकेतकों में आएगी गिरावट

रेटिंग एजेंसी ने कहा कि कोविड-19 से जुड़ी चिंता चीन से आयात पर पड़ने वाले प्रभाव के साथ देश में और दूसरे देशों में मांग में भारी कमी से जुड़ी हुई है। रेटिंग एजेंसी के वाइस प्रेसिडेंट शमशेर दीवान ने कहा, ''स्थिति के सामान्य होने से जुड़ी अनिश्चितताओं के बीच हमें लगता है कि मार्च 2020 से मैन्यूफैक्चरिंग एवं सर्विस सेक्टर के विभिन्न संकेतकों में भारी गिरावट दर्ज की जाएगी।''

इन सेक्टर्स पर देखने को मिलेगा ज्यादा असर

उन्होंने कहा कि ट्रैवल, टूरिज्म और हॉस्पिटालिटी, श्रम बल से जुड़े निर्माण, परिवहन और गैर-जरूरी सामानों से जुड़े मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और निर्यात पर मुख्य रूप से असर देखने को मिल सकता है।   

रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि कोरोनावायरस महामारी की वजह से घरेलू स्तर पर मांग में कमी देखने को मिली सकती है। इसके अलावा नौकरियां जाने और वेतन में कटौती से लोगों की क्रय शक्ति घटेगी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 का असर विमानन, होटल, रेस्तरां, आभूषण, खुदरा, शिपिंग एवं इनसे जुड़े सेक्टर्स में देखने को मिल सकता है।

डेयरी, एफएमसीजी, हेल्थकेयर सेक्टर्स पर कम प्रभाव

इस रिपोर्ट के मुताबिक ऑटोमोबाइल, बिल्डिंग मैटेरियल्स और रेजिडेंशियल रियल एस्टेट सेक्टर पर मध्यम असर देखने को मिलेगा। वहीं, शिक्षा, डेयरी उत्पादन, उर्वरक, एफएमसीजी और हेल्थकेयर सहित अन्य सेक्टर्स पर इसका असर सबसे कम देखने को मिलगा।


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