गलत साबित हुईं तमाम एजेंसियां, तीसरी तिमाही में सात फीसद रही विकास दर
मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था के विकास के आंकड़ों ने साबित कर दिया है कि नोटबंदी का अर्थव्यवस्था पर कोई असर नहीं हुआ
नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। चालू वित्त वर्ष 2016-17 की तीसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था के विकास के आंकड़ों ने साबित कर दिया है कि नोटबंदी का अर्थव्यवस्था पर कोई असर नहीं हुआ। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) की ओर से मंगलवार को जारी तीसरी तिमाही के आर्थिक विकास दर के आंकड़ों से विपक्षी दलों के मुंह पर ताले लग जाएंगे। इससे अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष, विश्व बैंक और रिजर्व बैंक जैसी संस्थाओं के अनुमान भी गलत साबित हुए हैं। इन्होंने नोटबंदी का अर्थव्यवस्था पर भारी असर पड़ने की बात कही थी।
मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर से दिसंबर) में विकास दर 7.1 फीसद रहने का अनुमान है। यानी नोटबंदी के बावजूद दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में भारत की रफ्तार अब भी सबसे तेज बनी रहेगी। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के ये आंकड़े सरकार के लिए राजनीतिक तौर पर भी मददगार साबित होंगे, क्योंकि सभी विपक्षी दल नोटबंदी को बड़ी चूक बता रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष के दौरान विकास दर 7.1 फीसद रहने के आसार और मजबूत हुए हैं। सीएसओ ने पहली तिमाही (अप्रैल- जुलाई) के दौरान विकास दर के पूर्व अनुमान को बढ़ाकर 7.2 फीसद और अगस्त से सितंबर के लिए 7.4 फीसद कर दिया है।
मुख्य सांख्यिकी अधिकारी टीसीए अनंत ने नोटबंदी के असर पर हालांकि कहा कि इस पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। आंकड़े जुटाए जा रहे हैं। चालू तिमाही (जनवरी-मार्च) में यह बात ज्यादा साफ होगी। उधर, आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा कि जीडीपी के आंकड़ों ने साफ कर दिया है कि नोटबंदी के नकारात्मक असर को लेकर सिर्फ अनुमान लगाए जा रहे थे। नोटबंदी से अर्थव्यवस्था को अप्रैल, 2017 से फायदा मिलना शुरू हो जाएगा।