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एक सीमा तक नए नोटों की छपाई में कोई बुराई नहीं, रघुराम राजन ने सरकार को दिया सुझाव

राजन ने कहा है कि कुछ हलकों में इस बात को लेकर काफी चिंता है कि केंद्रीय बैंक भारी घाटे की पूर्ति के लिए नोटों की छपाई कर रहा है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Sat, 09 May 2020 11:53 AM (IST)Updated: Mon, 11 May 2020 06:23 PM (IST)
एक सीमा तक नए नोटों की छपाई में कोई बुराई नहीं, रघुराम राजन ने सरकार को दिया सुझाव
एक सीमा तक नए नोटों की छपाई में कोई बुराई नहीं, रघुराम राजन ने सरकार को दिया सुझाव

नई दिल्ली, पीटीआइ। रिजर्व बैंक को पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने वर्तमान 'असाधारण परिस्थितियों' में आर्थिक सेहत को बचाने के लिए सरकार को एक सीमा तक मुद्रीकरण (मोनेटाइजेशन) का सुझाव दिया है। मोनेटाइजेशन को आम तौर पर आरबीआइ द्वारा नोटों की छपाई से जोड़कर देखा जाता है। राजन ने ऐसे समय में यह सुझाव दिया है, जब सरकार कोरोनावायरस के अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव से निपटने के लिए धन जुटाने की कोशिश कर रही है। इसी कड़ी में सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान बाजार से उधार उठाने की सीमा में 54 फीसद की बढ़ोत्तरी करते हुए उसे 12 लाख करोड़ रुपये कर दिया है। राजन ने एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा है कि 'सरकार को अर्थव्यवस्था की सेहत की चिंता करनी चाहिए और जरूरी चीजों पर पैसे खर्च करने चाहिए। हालांकि, इन प्रयासों के तहत प्राथमकिता के आधार पर खर्च किया जाना चाहिए और अनावश्यक खर्चों में कमी लाई जानी चाहिए।' 

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राजन ने अपने ब्लॉग पोस्ट में कहा है कि सरकार को राजकोषीय घाटे को भी ध्यान में रखना चाहिए। हालांकि, इस दिशा में मुद्रीकरण किसी तरह की बाधा नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मोनेटाइजेशन कभी भी बहुत बड़ा बदलाव लाने में सक्षम साबित नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि एक सीमा तक इस विकल्प को अपनाने से कोई बहुत बड़ी दिक्कत भी नहीं पैदा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत पहले भी ऐसा करते रहा है, लेकिन ऐसा एक सीमा तक ही होना चाहिए।  

राजन ने 'मोनेटाइजेशनः नाइदर गेम चेंजर नॉर केटेस्ट्रोफ इन एबनॉर्मल टाइम्स' शीर्षक ब्लॉग पोस्ट में कहा है कि कुछ हलकों में इस बात को लेकर काफी चिंता है कि केंद्रीय बैंक भारी बजट घाटा की पूर्ति के लिए नोटों की छपाई कर रहा है। वहीं, कुछ लोगों को लग रहा है कि केंद्रीय बैंक पर्याप्त कदम नहीं उठा रहा है।  

उन्होंने कहा, ''...कठिन परिस्थितियों में कथित मोनेटाइजेशन ना ही गेम चेंजर है और ना ही बहुत बड़ी तबाही लाने वाला है। इससे थोड़ी मदद मिल सकती है लेकिन इससे सरकार की वित्तीय दिक्कतों को नहीं सुलझाया जा सकता है और ना ही इससे महंगाई दर बहुत ऊपर चढ़ जाएगी। अगर इसका इस्तेमाल गलत तरीके से किया गया तो यह समस्या उत्पन्न करने वाला हो सकता है।''


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