ITC में निवेश कर LIC समेत तमाम सरकारी कंपनियों ने कमाया मोटा मुनाफा
एलआइसी जैसी सरकारी बीमा कंपनियों को आइटीसी में निवेश करके हजारों करोड़ रुपये का प्रोफिट हुआ है
नई दिल्ली (जेएनएन)। एलआइसी समेत सार्वजनिक क्षेत्र की इंश्योरेंस कंपनियों ने सिगरेट निर्माता आइटीसी में निवेश करके हजारों करोड़ रुपये का मोटा मुनाफा कमाया है। इसके उलट निजी क्षेत्र की बीमा कंपनियां ‘सेहत के प्रति जवाबदेही’ की नीति के चलते सिगरेट फर्मो से अपना निवेश वापस लेती रहीं। इसका फायदा भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआइसी) जैसी सरकारी बीमा कंपनियों को मिला है।
बीमा और म्यूचुअल फंड कंपनियां आमतौर पर ग्राहकों से जुटाए गए प्रीमियम या फंड का इस्तेमाल शेयरों समेत कई तरह की प्रतिभूतियों में निवेश के रूप में करती हैं। इसके जरिये ही वे ग्राहकों के लिए रिटर्न देने का इंतजाम कर पाती हैं। ग्लोबल स्तर पर कई बीमा और म्यूचुअल फंड कंपनियां तंबाकू जैसे क्षेत्रों में निवेश से दूर रहती हैं। जहां तक भारतीय सरकारी बीमा कंपनियों का सवाल है, तो उन्हें इससे परहेज नहीं है। अकेले पिछली तिमाही में चारों सरकारी बीमा कंपनियों को आइटीसी में अपनी 21 फीसद से ज्यादा इक्विटी हिस्सेदारी पर 15,000 करोड़ रुपये का फायदा हुआ। पूरे 2016-17 के दौरान इस निवेश पर उन्हें 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का लाभ मिला।
एलआइसी की बड़ी हिस्सेदारी:
शेयरहोल्डिंग पैटर्न के विश्लेषण से पता चलता है कि एलआइसी की आइटीसी में करीब 16.3 फीसद हिस्सेदारी है। जीवन बीमा निगम ने पिछली तिमाही में इस कंपनी में अपनी हिस्सेदारी दो फीसद बढ़ाई। उसके पास फिलहाल 55,000 करोड़ रुपये मूल्य के आइटीसी के शेयर हैं। एलआइसी के अलावा साधारण बीमा कंपनियों (ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी, न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी और जनरल इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) की भी अच्छी-खासी हिस्सेदारी है। इसका मूल्य करीब 17,000 करोड़ रुपये बैठता है। आइटीसी का बाजार मूल्य करीब 3.4 लाख करोड़ रुपये है। वैसे, कंपनी एफएमसीजी समेत कई तरह के व्यवसायों में लगी है, मगर अब भी उसकी कुल आय में सिगरेट कारोबार का काफी बड़ा हिस्सा है।
निवेश सरकारी नीतियों के खिलाफ:
हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका को देखते हुए यह मामला अहम है। इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों का तंबाकू उद्योग में भारी निवेश सरकारी नीतियों के खिलाफ है। जहां तक निजी बीमा कंपनियों और म्यूचुअल फंडों का सवाल है तो इसी अवधि में उन्होंने तंबाकू उद्योग में अपना निवेश घटाया है। आइसीआइसीआइ प्रूडेंशियल लाइफ की आइटीसी में हिस्सेदारी घटकर एक फीसद के करीब रह गई है। इसी तरह सभी म्यूचुअल फंडों की हिस्सेदारी चार फीसद पर आ गई है।