सार्वजनिक कंपनियों को अगली सरकार से बड़ी आस
अर्थव्यवस्था के तमाम घटकों के समान सार्वजनिक क्षेत्र को भी केंद्र की नई सरकार से बड़ी उम्मीदें हैं। सुधारों के अभाव में निरंतर पिछड़ रहे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) ने नई सरकार के समक्ष मुद्दे और सुझावों सहित अपना पक्ष रखने की तैयारी शुरू कर दी है। सार्वजनिक उपक्रमों की शीर्ष संस्था स्कोप केंद्र
नितिन प्रधान, नई दिल्ली। अर्थव्यवस्था के तमाम घटकों के समान सार्वजनिक क्षेत्र को भी केंद्र की नई सरकार से बड़ी उम्मीदें हैं। सुधारों के अभाव में निरंतर पिछड़ रहे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) ने नई सरकार के समक्ष मुद्दे और सुझावों सहित अपना पक्ष रखने की तैयारी शुरू कर दी है। सार्वजनिक उपक्रमों की शीर्ष संस्था स्कोप केंद्र में सरकार बनने के बाद नए प्रधानमंत्री के समक्ष सुधारों का एजेंडा रखेगी।
जैसे-जैसे केंद्र में नई सरकार के गठन का समय नजदीक आ रहा है, उद्योगों से जुड़े संगठनों की सरकार के समक्ष रखे जाने वाले एजेंडे की तैयारी जोर पकड़ने लगी है। अर्थव्यवस्था के विकास की रफ्तार में सक्रिय भागीदारी के लिए पीएसयू भी लंबित सुधारों समेत नए बिंदुओं के आधार पर नए प्रधानमंत्री के सामने अपना पक्ष रखने की तैयारी में है।
सार्वजनिक उपक्रमों की शीर्ष संस्था स्कोप (स्टैंडिंग कॉन्फ्रेंस ऑफ पब्लिक एंटरप्राइजेज) ने नए प्रधानमंत्री से मुलाकात की कोशिशें अभी से शुरू कर दी हैं। स्कोप ने इस मुलाकात के लिए पुराने सुधारों के अपने एजेंडे में नए बिंदु जोड़ते हुए इसे फिर से तैयार किया है। स्कोप के महानिदेशक डॉ. यूडी चौबे ने यह तो नहीं बताया कि एजेंडे में किन बिंदुओं को शामिल किया गया है, लेकिन इसकी पुष्टि की कि उन्होंने नई सरकार के प्रधानमंत्री से मुलाकात की तैयारी कर ली है।
स्कोप ने पिछले वर्ष मौजूदा प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के साथ पीएसयू प्रमुखों की बैठक में सरकार को सुधारों का एक एजेंडा पेश किया था। उस पर अभी काम चल रहा है। लेकिन स्कोप चाहता है कि नई सरकार को फिर से सार्वजनिक क्षेत्र में सुधार का महत्व बताया जाए ताकि सुधारों की रफ्तार धीमी न हो। साथ ही स्कोप के एजेंडे में कुछ नए बिंदु भी जुड़ गए हैं। वैसे सार्वजनिक क्षेत्र विश्व भर में सरकारी कंपनियों में हो रहे सुधारों को लेकर काफी उत्साहित है। दुनिया भर की सरकारें पीएसयू में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रही हैं। सूत्र बताते हैं कि पीएसयू के संबंध में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के हालिया बयानों ने भी उत्साह बढ़ाया है। जिस तरह से मोदी सरकार ने गुजरात में राज्य के सार्वजनिक उपक्रमों की तस्वीर बदली है, उसको लेकर भी पीएसयू प्रमुखों को उम्मीद बढ़ी है। इसलिए उन्हें भी लग रहा है कि अगर केंद्र में मोदी के नेतृत्व में सरकार बनती है तो सार्वजनिक उपक्रमों में सुधार की रफ्तार को तेजकर उन्हें एक बार फिर से आर्थिक विकास का प्रमुख भागीदार बनाया जा सकता है।
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