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प्रस्‍तावित इलेक्ट्रिसिटी (संशोधन) विधेयक 2020 पावर सेक्‍टर में बदलाव के लिए है, राज्‍यों के अधिकार नहीं होंगे कम : आर के सिंह

नई व्यवस्था में राज्य बिजली नियामक आयोग के सदस्यों की नियुक्ति के लिए एक समिति बनाने का प्रस्ताव है जिसमें केंद्र व राज्यों के समान संख्या में प्रतिनिधि होंगे।

By Manish MishraEdited By: Published: Thu, 25 Jun 2020 08:32 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jun 2020 08:46 PM (IST)
प्रस्‍तावित इलेक्ट्रिसिटी (संशोधन) विधेयक 2020 पावर सेक्‍टर में बदलाव के लिए है, राज्‍यों के अधिकार नहीं होंगे कम : आर के सिंह
प्रस्‍तावित इलेक्ट्रिसिटी (संशोधन) विधेयक 2020 पावर सेक्‍टर में बदलाव के लिए है, राज्‍यों के अधिकार नहीं होंगे कम : आर के सिंह

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोविड-19 की वजह से लागू लॉकडाउन ने देश की बिजली सेक्टर की स्थिति भी बेहद खराब कर दी है। राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों (डिस्काम) की माली हालत नाजुक हो चली है और कुछ डिस्काम में ट्रांसमिशन व डिस्ट्रीब्यूशन से होने वाली हानि का स्तर 47 फीसद तक पहुंच गया है। इनका संयुक्त तौर पर नुकसान बढ़ कर 94 हजार करोड़ रुपये हो चुका है। इस हालात को सामने रखते हुए बिजली मंत्री आर के सिंह ने कहा कि पावर सेक्टर के लिए संशोधित इलेक्ट्रिसिटी विधेयक, 2020 और नई टैरिफ पॉलिसी जरुरी हो गई है। सरकार जल्द ही इलेक्ट्रिसिटी (संशोधन) विधेयक पर अध्यादेश भी ला सकती है।

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बिजली मंत्री सिंह ने गुरुवार को वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में नए बिजली कानून को लेकर जारी भ्रांतियों को दूर करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि कुछ तत्व इस विधेयक के बारे में आधारहीन सूचनाओं का प्रचार कर रहे हैं। मसलन, यह कानून कहीं से भी बिजली शुल्क तय करने को लेकर राज्यों के अधिकार को कम नहीं करेगा। नई व्यवस्था में राज्य बिजली नियामक आयोग के सदस्यों की नियुक्ति के लिए एक समिति बनाने का प्रस्ताव है जिसमें केंद्र व राज्यों के समान संख्या में प्रतिनिधि होंगे। 

आयोग के अध्यक्ष अभी तक हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश होते थे लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के जज को अध्यक्ष बनाया जाएगा। यह पूरी तरह से स्वतंत्र निकाय होगी जो हर राज्य के नियामक आयोग के सदस्यों की नियुक्त शीघ्रता से करेगी। नया कानून बिजली सब्सिडी को सिर्फ डीबीटी के जरिए देने की व्यवस्था करेगा। इस बारे में बिजली मंत्रालय का कहना है कि जो लोग बता रहे हैं कि यह आम जनता के हितों के खिलाफ हैं वे पूरी तरह से गलत हैं। 

मौजूदा कानून के मुताबिक अभी राज्यों को बिजली सब्सिडी की राशि अग्रिम में ही डिस्काम को देनी होगी। अब उन्हें सीधे ग्राहकों के खाते में देना होगा। अगर राज्य सरकार तीन-चार महीने भी पैसा नहीं देती है तो बिजली कनेक्शन नहीं काटे जाएंगे। बिजली मंत्री के मुताबिक बिजली शुल्क तय करने का अधिकार भी अभी जिस तरह से नियामक आयोग करते हैं वैसा ही होता रहेगा। कुछ लोग यह अफवाह फैला रहे हैं कि आने वाले दिनों में केंद्र सरकार बिजली दर तय करेगी।

बिजली व रिनीवल ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने यह भी बताया कि उनके मंत्रालय ने सोलर प्लांट में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों के आयात पर 15 से 25 फीसद तक आयात शुल्क लगाने का प्रस्ताव किया है। इसे बाद में बढ़ा कर 40 फीसद तक करने का प्रस्ताव किया गया है ताकि तमाम तरह के सोलर पैनल व अन्य उपकरण घरेलू तौर पर भी निर्माण हो सके।

बताते चलें कि अभी देश में सोलर प्लांट के लिए जितना उपकरण बाहर से मंगाया जा रहा है उसका 80 फीसद तक चीन से आता है। अभी इन पर कोई बेसिक सीमा शुल्क (बीसीडी) नहीं लगाया जाता लेकिन 15 फीसद का बेसिक सेफगार्ड शुल्क लगाया जाता है। अगले महीने से यह शुल्क समाप्त हो जाएगा। उम्मीद है कि अब इन पर बीसीडी लग जाएगा।


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