आर्थिक सुस्ती दूर करने में ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही परियोजनाएं होंगी मददगार: प्रणब सेन
पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद का कहना है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मांग को बढ़ावा देने के लिए केंद्र-संचालित योजनाओं की राशि खर्च करने पर विशेष जोर दिया जाना चाहिए। (PC Pixabay)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। आर्थिक सुस्ती से बाहर निकलने के लिए केंद्र सरकार हर क्षेत्र को बूस्टर डोज देने की कोशिश में जुटी है। लेकिन अर्थशास्त्रियों का मानना है कि सरकार को खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रणब सेन का कहना है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मांग को बढ़ावा देने के लिए पीएम-किसान योजना, मनरेगा, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी केंद्र-संचालित योजनाओं की राशि खर्च करने पर विशेष जोर दिया जाना चाहिए।
अगर इन योजनाओं के लिए धनराशि अधिक आवंटन करने की जरूरत पड़े तो उससे भी नहीं हिचकना चाहिए। सेन के मुताबिक भले ही सरकार को राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं को एक दो साल के लिए स्थगित करना पड़े, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र की योजनाओं पर अधिकाधिक राशि खर्च करनी चाहिए। सेन का यह कथन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से जुलाई के दौरान गांव और किसान से संबंधित योजनाएं चलाने वाले मंत्रलयों की बजट राशि खर्च करने की रफ्तार कम रही है।
मसलन, ग्रामीण विकास मंत्रलय का चालू वित्त वर्ष का कुल बजट लगभग एक लाख बीस हजार करोड़ रुपये है। लेकिन अप्रैल से जुलाई की अवधि में मंत्रलय ने लगभग 42 हजार रुपये ही खर्च किए हैं, जो बजटीय आवंटन का 35 प्रतिशत है। पिछले वित्त वर्ष के शुरुआती चार महीनों में ग्रामीण विकास मंत्रलय ने 49 प्रतिशत राशि खर्च की थी। इसी तरह कृषि मंत्रलय ने भी चालू वित्त वर्ष में अपने बजटीय आवंटन की 26 प्रतिशत राशि खर्च की है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 43 प्रतिशत थी।
यही हाल मत्स्य और पशुपालन विभाग, जनजातीय कार्य और महिला एवं बाल विकास मंत्रलयों का भी है।ग्रामीण क्षेत्रों में मांग बढ़ाने की जरूरत इसलिए भी है क्योंकि हाल में सीएसओ ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के जो आंकड़े जारी किए हैं, उसके मुताबिक कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा है। सीएसओ के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विकास दर पांच प्रतिशत रही, जो पिछले छह वर्षो में सबसे कम है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (एनआइपीएफपी) में कंसल्टेंट और वरिष्ठ अर्थशास्त्री राधिका पांडेय ने कहा, ‘अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने की किसी भी रणनीति का अहम हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में मांग को बढ़ाना है। ग्रामीण क्षेत्र खासकर असंगठित क्षेत्र में रोजगार सृजन को बढ़ावा देने पर जोर देने की जरूरत है। कंस्ट्रक्शन सहित उन क्षेत्रों पर जोर दिया जाना चाहिए जिसमें श्रमिकों का अधिक इस्तेमाल होता है।’
ग्रामीण क्षेत्र में खर्च बढ़ाने के उपायों से वहां लोगों की आमदनी बढ़ेगी। इसका इस्तेमाल ग्रामीण बाजार में करेंगे तो इकोनॉमी को चलाते रहने में मदद मिलेगी। पांडेय ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में खरीद कम होने की वजह से महंगाई काफी कम है, जिसकी वजह से वहां अधिक नकदी की आपूर्ति की संभावनाएं अधिक हैं। ढांचागत क्षेत्र महत्वपूर्ण हैं, लेकिन ऐसी ढांचागत सुविधाएं बनाने पर जोर देना चाहिए जिनसे रोजगार सृजन हो सके।