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निजी क्षेत्र को सौंपे जाएंगे 12 और सार्वजनिक उपक्रम, सुधार के एजेंडे पर आगे बढ़ी सरकार

सरकार के सुधारों के एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए नीति आयोग ने 12 और सार्वजनिक उपक्रमों के रणनीतिक विनिवेश की सिफारिश की है।

By Praveen DwivediEdited By: Published: Sun, 02 Apr 2017 12:27 PM (IST)Updated: Sun, 02 Apr 2017 12:29 PM (IST)
निजी क्षेत्र को सौंपे जाएंगे 12 और सार्वजनिक उपक्रम, सुधार के एजेंडे पर आगे बढ़ी सरकार
निजी क्षेत्र को सौंपे जाएंगे 12 और सार्वजनिक उपक्रम, सुधार के एजेंडे पर आगे बढ़ी सरकार

हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली: मोदी सरकार के सुधारों के एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए नीति आयोग ने 12 और सार्वजनिक उपक्रमों के रणनीतिक विनिवेश की सिफारिश की है। आयोग ने इस संबंध में हाल में एक रिपोर्ट सरकार को सौंपी है। इससे पहले आयोग 15 सार्वजनिक उपक्रमों तथा दो पीएसयू की चार इकाइयों के रणनीतिक विनिवेश की सिफारिश कर चुका है। इस बीच नीति आयोग ने घाटे में चल रहे जिन 26 पीएसयू को बंद करने की सिफारिश की थी उनमें से सात और पीएसयू को प्रधानमंत्री कार्यालय ने बंद करने की हरी झंडी दे दी है।

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सूत्रों ने कहा कि नीति आयोग ने हाल ही में अपनी तीसरी रिपोर्ट सरकार को सौंपी है जिसमें 12 केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के रणनीतिक विनिवेश की सिफारिश की गयी है। इससे पहले आयोग दो रिपोर्ट सरकार को सौंप कर 15 सार्वजनिक उपक्रमों और एनएमडीसी की एक तथा सेल की तीन इकाइयों के रणनीतिक विनिवेश की सिफारिश कर चुका है। इस तरह वित्त वर्ष 2016-17 में नीति आयोग कुल 31 सार्वजनिक उपक्रमों और इकाइयों के रणनीतिक बिक्री की सिफारिश कर चुका है।

असल में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2016-17 के बजट भाषण में नीति आयोग को विनिवेश तथा रणनीतिक बिक्री के लिए सार्वजनिक उपक्रमों की पहचान करने को कहा था। आयोग ने बीते वित्त वर्ष में रणनीतिक बिक्री के अलावा 26 ऐसे पीएयू को बंद करने की भी सिफारिश की जो घाटे में चल रहे हैं। इनमें से आठ पीएसयू को बंद करने के प्रस्ताव को कैबिनेट मंजूरी दे चुकी है जबकि सात और पीएसयू को बंद करने की हरी झंडी प्रधानमंत्री कार्यालय ने दे दी है।

सूत्रों ने कहा कि बीता वित्त वर्ष 2016-17 सुधारों की दृष्टि से इसलिए खास रहा कि सरकार ने घाटे में चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों को बंद करने और कई सार्वजनिक उपक्रमों की रणनीतिक बिक्री की दिशा में ठोस कदम उठाया। यह मुद्दा राजनीतिक रूप से संवेदनशील होने के बावजूद मोदी सरकार ने रणनीतिक विनिवेश के मोर्चे पर सफलतापूर्वक कदम बढ़ाया। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण भी है कि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार इस दिशा में कदम बढ़ाने का साहस नहीं कर पायी।

बीते वित्त वर्ष में सरकार ने विनिवेश से कुल 56,500 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था जिसे संशोधित कर 45,500 करोड़ रुपये कर दिया गया। वित्त मंत्रलय के निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 में विनिवेश के माध्यम से 46,246 करोड़ रुपये जुटाए जा चुके हैं। वित्त वर्ष 2017-18 के लिए सरकार ने विनिवेश के जरिये 46,500 करोड़ रुपये तथा रणनीतिक विनिवेश के जरिये 15,000 रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा 11 हजार करोड़ रुपये बीमा कंपनियों को सूचीबद्ध करके जुटाए जाने हैं।


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