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मार्च तक एक और सरकारी बैंक के विलय की तैयारी

एसबीआई से मर्जर को देखते हुए वित्त मंत्रालय जल्द ही किसी बड़े सरकारी बैंक के विलय को मंजूरी दे सकता है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Sat, 10 Jun 2017 11:20 AM (IST)Updated: Sat, 10 Jun 2017 11:55 AM (IST)
मार्च तक एक और सरकारी बैंक के विलय की तैयारी
मार्च तक एक और सरकारी बैंक के विलय की तैयारी

नई दिल्ली (पीटीआई)। भारतीय स्टेट बैंक के विलय से उत्साहित वित्त मंत्रालय चालू वित्त वर्ष के अंत तक एक और सार्वजनिक बैंक के विलय के लिए मंजूरी देने पर विचार कर रहा है। सरकार का इरादा देश में ग्लोबल आकार के 4-5 बैंक विकसित करने का है। पिछले एक अप्रैल 2017 से एसबीआइ में उसके पांच सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक का विलय हुआ था। इससे एसबीआइ दुनिया के शीर्ष 50 बैंकों में शुमार हो गया। वित्त मंत्रालय इसी प्रकार से सार्वजनिक क्षेत्र के दूसरे बैंकों के विलय पर विचार कर रहा है जिससे वे ग्लोबल स्तर के बैंकों के साथ स्पर्धा कर सकें।

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मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बैंकों में कंसोलिडेशन आवश्यक है। हालांकि इसके बारे में फैसले व्यावसायिक नजरिये से लिये जाएंगे। अगर विलय होने से बैंकों के फंसे कर्ज (एनपीए) को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी तो इस वित्त वर्ष के अंत तक एक और विलय हो सकता है। सार्वजनिक क्षेत्रों का एनपीए पिछले अप्रैल-दिसंबर के बीच एक लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 6.6 लाख करोड़ रुपये हो गया। इसमें ज्यादातर एनपीए बिजली, स्टील, रोड इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्सटाइल सेक्टरों में है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कई मौकों पर कहा है कि देश में ग्लोबल आकार के 5-6 बैंकों की जरूरत है। बैंकिंग क्षेत्र में सही समय पर कंसोलिडेशन किया जाएगा। अधिकारी ने कहा कि कंसोलिडेशन का समय तय करते समय कर्मचारियों और शेयरधारकों समेत सभी पक्षों के हितों का ख्याल रखा जाएगा। यह कदम सभी पक्षों के लिए फायदेमंद होगा। विभिन्न नियामकों और अधिकारियों से किसी भी विलय को मंजूरी से पहले सही संतुलन बनाया जाएगा।

भविष्य में बैंकिंग क्षेत्र के सभी विलय प्रस्तावों के लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) की भी मंजूरी जरूरी होगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि विलय के बाद नये बैंक का एकाधिकार न हो। एसबीआइ में विलय के समय अप्रैल में महसूस किया गया कि सिर्फ भारतीय महिला बैंक के विलय के लिए सीसीआइ की मंजूरी जरूरी है। सहयोगी बैंकों के विलय के लिए कोई अनुमति आवश्यक नहीं थी।

वित्त मंत्रालय ने सरकारी थिंक टैंक नीति आयोग और ग्लोबल कंसल्टेंसी फर्मो से इस संबंध में मदद ली है। ताकि बैंकों के अगले दौर के कंसोलिडेशन की संभावना को जांचा जा सके और ग्लोबल आकार के बैंकों का निर्माण सुनिश्चित किया जा सके। नीति आयोग की रिपोर्ट से नये कंसोलिडेशन की स्पष्ट योजना बनाने में मदद मिलेगी।

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