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PNB का विलफुल डिफॉल्टरों पर 15000 करोड़ रुपये बकाया, ये कंपनियां शामिल

भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार बैंक को जब किसी परिसंपत्ति (असेट्स) से आय अर्जित होना बंद हो जाती है तो उसे एनपीए मान लिया जाता है।

By Shubham ShankdharEdited By: Published: Tue, 17 Apr 2018 09:10 AM (IST)Updated: Tue, 17 Apr 2018 11:50 AM (IST)
PNB का विलफुल डिफॉल्टरों पर 15000 करोड़ रुपये बकाया, ये कंपनियां शामिल

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। नीरव मोदी घोटाले में फंसे पंजाब नेशनल बैंक के विलफुल डिफॉल्टरों पर बकाया राशि फरवरी में 2.1 फीसद बढ़कर 14,904.65 करोड़ रुपये हो गई। बैंक के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी में 25 लाख रुपये से ज्यादा विलफुल डिफॉल्टरों पर बकाया राशि 14,593.16 करोड़ रुपये थी। बैंक ने पिछले जून से विलफुल डिफॉल्टरों और उन पर बकाया राशि की सूची बनाना शुरू किया था।

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पिछले नौ महीने में ही यह राशि करीब 25 फीसद बढ़ गई। जून 2017 में यह राशि 11,879.74 करोड़ रुपये थी। प्रमुख विलफुल डिफॉल्टरों में केमिकल निर्माता कुडोस केमी लि. (1301.82 करोड़), किंगफिशर एयरलाइंस (597.44 करोड़), जस इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड पावर (410.44 करोड़), वीएमसी सिस्टम्स लि. (296.08 करोड़) और अरविंद रेमेडीज (158.16 करोड़ रुपये) शामिल है।

इन सभी कंपनियों को पीएनबी ने कंसोर्टियम के हिस्से के तौर पर कर्ज दिये थे। इसके अलावा विनसम डायमंड्स (410.18 करोड़, एप्पल इंडस्ट्रीज (248.34 करोड़), नैफेड (224.24 करोड़) और एस. कुमार नेशनवाइड (146.82 करोड़ रुपये) भी बकाएदार हैं। दिसंबर में समाप्त चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में बैंक का कुल एनपीए या फंसे कर्ज वार्षिक आधार पर 12.11 फीसद बढ़कर 57.519.41 करोड़ हो गए थे।

कौन होते हैं विलफुल डिफॉल्टर

भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार बैंक को जब किसी परिसंपत्ति (असेट्स) से आय अर्जित होना बंद हो जाती है तो उसे एनपीए मान लिया जाता है। उदाहरण के लिए अगर किसी व्यक्ति ने कार खरीदने के लिए बैंक से ऑटो लोन लिया। अगर वह व्यक्ति किसी कारणवश लगातार तीन महीने तक मासिक किश्तों का भुगतान नहीं कर पाता है तो बैंक को अपने बही-खाते में यह राशि एनपीए के रूप में दर्ज करनी होगी। बैंकों का एनपीए दो स्थिति में बढ़ता है। पहली, जब अर्थव्यवस्था में कारोबार सुस्त रहता है। दूसरी, जब कोई व्यक्ति या कंपनी जानबूझकर बैंक का कर्ज नहीं चुकाते हैं। जानबूझकर कर्ज न चुकाने वाले को ‘विलफुल डिफॉल्टर’ कहते हैं। इस तरह लगातार 90 दिन तक मूलधन या ब्याज की किश्त का भुगतान न होने पर लोन खाता एनपीए बन जाता है।


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