पीएम मोदी ने वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने की जताई प्रतिबद्धता
पीएम मोदी का कहना है कि भारतीय कृषि का गौरव लौटाएंगे और वर्ष 2022 तक लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सभी विकल्प अपनाएं जाएंगे
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए जरूरी कानून बनाने और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार हर संभव प्रयास करेगी। कृषि क्षेत्र की कानूनी अड़चनें दूर करने के लिए दिए गए सुझावों पर प्रधानमंत्री ने विचार करने का भरोसा दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारतीय कृषि का गौरव लौटाएंगे और 2022 तक लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सारे रास्ते अपनाएंगे।
मोदी मंगलवार को यहां आयोजित दो दिवसीय कृषि राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन समारोह में बोल रहे थे। कार्यशाला से निकले सात सूत्रों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी प्रामाणिकता जांचकर लागू किया जाएगा। सरकारी दायरे से अलग धरती से जुड़े लोगों के साथ उनकी समस्याओं पर व्यावहारिक विचार-विमर्श किया गया है। नीति आयोग के नेतृत्व में संबंधित सभी मंत्रलयों के अफसरों के साथ मिलकर उस पर अमल किया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने की प्रतिबद्धता फिर जताई। इसके लिए एग्रो क्लामेटिक जोन के हिसाब से वहां के किसानों के हित में योजनाएं चलाई जाएंगी। कृषि उत्पादों के मूल्यवर्धन पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने संपदा योजना का विस्तार से जिक्र किया। कृषि उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहित करने की राह में आ रही मुश्किलों के बारे में आई सिफारिशों पर मोदी ने कहा कि वैश्विक स्तर के नियम कानून गलत हैं।
भारत दुनिया में बिखेर सकता है अपनी खुशबू
उन्होंने कहा कि दुनिया में सुगंधित कृषि उत्पादों की मांग बहुत बढ़ी है। भारत में इसकी बड़ी संभावनाएं हैं, जिसका दोहन किया जा सकता है। भारत अपनी खुशबू से दुनिया में महक बिखेर सकता है। किसानों को समय पर जानकारी मुहैया कराना और मांग आधारित खेती के प्रति उन्हें प्रोत्साहित करने की जरूरत है। किसानों को हर तरह की जानकारी मुहैया कराने के लिए डिजिटल प्लेटफार्म तैयार करने चाहिए। छोटे किसानों को कर्ज न मिलने की समस्या दूर करने के लिए सभी 63000 सहकारी समितियों के कंप्यूटरीकरण का कार्य तेजी से हो रहा है।
100 साल पहले हुई थी ग्रामीण मंडियों की सिफारिश
किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए उनकी परंपरागत खेती के साथ-साथ अतिरिक्त आय के साधन सृजित करने होंगे। इनमें बागवानी, डेयरी, पोल्ट्री, मधुमक्खी पालन व सौर ऊर्जा जैसे क्षेत्रों से जोड़ना होगा। ग्रामीण मंडियों को विकसित करने की योजना के बारे में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस तरह की सिफारिश सौ साल पहले अंग्रेजों के जमाने में आई थी, जिसे अब हमे लागू करने का मौका मिला है। इन ग्रामीण मंडियों को ईनाम से जोड़ा जाएगा।
आमदनी बढ़ाने के लिए चार प्रमुख क्षेत्रों में काम
प्रधानमंत्री ने आम बजट में किए गए प्रावधानों का विस्तार से जिक्र करते हुए किसानों के हित में शुरू की गई योजनाओं के बारे में बताया। आगामी वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान देश की 50 फीसद खेती प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के दायरे में लाने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए चार प्रमुख क्षेत्रों पर काम कर रही है।
खेती की लागत में कटौती, उसकी उपज का उचित मूल्य दिलाना, खलिहान से बाजार तक पहुंचने में उपज की होने वाली बर्बादी को रोकने और अतिरिक्त आय के साधन तैयार करने पर जोर है। खेती को समग्रता में देखते हुए बीज से बाजार तक के लिए योजनाएं तैयार की गई हैं।
किसानों की आर्थिक सुरक्षा खतरे में
प्रधानमंत्री ने पिछले समय में खेती के साथ हुए सौतेले व्यवहार पर चुटकी लेते हुए कहा कि लंबी रस्सी से बांध दो तो बैल गोल-गोल घूमता है। कृषि को इस तरह के बंधन से मुक्त किया जा रहा है। मोदी ने कहा कि देश की खाद्य सुरक्षा का ध्यान रखने वाले किसानों की अपनी आर्थिक सुरक्षा खतरे में हैं। तभी तो वह खेती छोड़कर कोई भी छोटा-मोटा काम कर लेना चाहता है।