निजी निवेश व एफडीआइ से संसाधन जुटाने की योजना
रेलवे के बुनियादी ढांचे के विस्तार व उसे आधुनिक बनाने के लिए जरूरी संसाधन जुटाने को सरकार अब निजी और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) को आजमाने जा रही है। सार्वजनिक निजी भागीदारी के तहत निजी निवेश आकर्षित किया जाएगा। वहीं, विश्व स्तरीय ढांचे के निर्माण के संसाधन एफडीआइ से जुटाने की कोशिश होगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रेलवे के बुनियादी ढांचे के विस्तार व उसे आधुनिक बनाने के लिए जरूरी संसाधन जुटाने को सरकार अब निजी और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) को आजमाने जा रही है। सार्वजनिक निजी भागीदारी के तहत निजी निवेश आकर्षित किया जाएगा। वहीं, विश्व स्तरीय ढांचे के निर्माण के संसाधन एफडीआइ से जुटाने की कोशिश होगी। सरकार इस आशय के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।
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लोकसभा में बुधवार को वित्त वर्ष 2014-15 का अंतरिम रेल बजट पेश करते हुए रेल मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि रेलवे के विकास के लिए अमूल्य वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने संबंधी प्रयास जारी रहेंगे। मगर इन जरूरतों को बजटीय समर्थन, रेलवे के आंतरिक संसाधनों व बाजार उधारी के जरिये पूरा नहीं किया जा सकता। इसलिए रेलवे ने इसके लिए रेल अवसंरचना में निजी निवेश पर ध्यान देना शुरू किया है।
रेलवे की योजना सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के जरिये निजी निवेश को बढ़ाने की है। पहिया, डिब्बे आदि बनाने वाली इकाइयां, रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीकरण, लॉजिस्टिक पार्क, निजी माल-यातायात टर्मिनल आदि परियोजनाएं पीपीपी के जरिये पूरी की जाएंगी। मगर विश्व स्तरीय रेल ढांचे के निर्माण की आवश्यकताओं को एफडीआइ के जरिये पूरा किया जाएगा। रेल मंत्री ने अपने भाषण में इस बात की पुष्टि की है कि सरकार इस आशय के एक प्रस्ताव पर विचार कर रही है।
रेलवे में विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए औद्योगिक नीति व संवर्धन विभाग (डीआइपीपी) ने जो प्रस्ताव तैयार किया है, उसके तहत केवल बुनियादी ढांचे से संबंधित परियोजनाओं में ही एफडीआइ की इजाजत का प्रस्ताव है। इसमें रेलवे लाइन बिछाने, साइडिंग व साइडिंग को मुख्य रेलमार्गो से जोड़ने जैसी परियोजनाओं में ही एफडीआइ की मंजूरी मिलेगी। ऐसी परियोजनाओं में 100 फीसद एफडीआइ की योजना है। संयुक्त उद्यम परियोजनाओं में रेलवे 26 फीसद तक हिस्सेदारी कर सकेगी।
सूत्रों के मुताबिक, एफडीआइ के संशोधित प्रस्ताव में रेलवे यूनियनों के विरोध के बाद नीति में रेलवे ऑपरेशन के स्थान पर अब रेलवे ट्रांसपोर्ट शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा। रेलवे यूनियनों की आपत्ति थी कि सुरक्षा के लिहाज से रेल संचालन का काम उसी के पास रहना चाहिए। सूत्र बताते हैं कि रेलवे में एफडीआइ के प्रस्ताव पर गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से कुछ आपत्ति जताई है। इसके मुताबिक चीन की रुचि भारतीय उद्योग क्षेत्र में बढ़ी है। लिहाजा उसके इंजीनियरों व तकनीशियनों की भागीदारी वाली रेल परियोजनाओं को सीमावर्ती क्षेत्रों और सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील इलाकों में इजाजत देने से बचना चाहिए। मंत्रालय की राय में चीनी इंजीनियरों और तकनीशियनों को भी बिना पर्याप्त वीजा व सुरक्षा संबंधी मंजूरियों के इन क्षेत्रों में प्रवेश की इजाजत नहीं होनी चाहिए।
सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्रालय की चिंताओं को वाजिब मानते हुए अब तय किया गया है कि रेलवे टेक्निकल और सुरक्षा विशेषज्ञों का एक कोर ग्रुप गठित करेगा। यह एफडीआइ से संबंधित सभी प्रस्तावों का गहराई से आकलन करेगा। गृह मंत्रालय की इस सिफारिश को कैबिनेट नोट का हिस्सा भी बना लिया गया है।