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फोन का बिल बन सकता है कर्ज लेने का आधार, फोन के बिल से निम्न आय वर्ग की क्रेडिट हिस्ट्री के बारे में मिलेगी जानकारी

नीति आयोग ने हाल में डाटा इंपावरमेंट और प्रोटेक्शन आर्किटेक्चर (दिपा) लागू करने की सिफारिश के साथ ड्राफ्ट जारी किया है। (PC Reuters)

By Ankit KumarEdited By: Published: Wed, 09 Sep 2020 07:45 PM (IST)Updated: Thu, 10 Sep 2020 07:01 PM (IST)
फोन का बिल बन सकता है कर्ज लेने का आधार, फोन के बिल से निम्न आय वर्ग की क्रेडिट हिस्ट्री के बारे में मिलेगी जानकारी
फोन का बिल बन सकता है कर्ज लेने का आधार, फोन के बिल से निम्न आय वर्ग की क्रेडिट हिस्ट्री के बारे में मिलेगी जानकारी

नई दिल्ली, राजीव कुमार। आने वाले समय में फोन के बिल को आधार मान कर कर्ज दिया जा सकता है। फोन के मासिक रिचार्ज के बिल से आपकी क्रेडिट हिस्ट्री तैयार हो सकती है जिसके आधार पर आप कर्ज के हकदार होंगे। हाल ही में निम्न आय वर्ग के ग्राहकों को इस प्रकार की सुविधा दिलाने के लिए भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने टेलीकॉम कंपनियों के साथ एक बैठक बुलाई थी। ट्राई के चेयरमैन आर.एस. शर्मा ने बताया कि अगस्त के आखिरी सप्ताह में टेलीकॉम कंपनियों के साथ उपभोक्ताओं के डाटा शेयरिंग को लेकर और उससे ग्राहकों को मिलने वाले लाभ के मामले में बैठक बुलाई गई थी।

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शर्मा ने बताया कि डाटा शेयरिंग की सहमति देकर ग्राहक अपना फोन बिल डिजिटल रूप में हासिल कर सकता है जिसके आधार पर ग्राहक कर्ज के लिए भी आवेदन कर सकता है। इस डिजिटल बिल का इस्तेमाल वह इंश्योरेंस करवाने में भी कर सकता है। डिजिटल बिल के आधार पर ग्राहक यह दावा कर सकता है कि वह समय पर अपने बिल का भुगतान करता है। कर्ज देने वाली संस्था को इससे ग्राहक की भुगतान करने की क्षमता का भी पता चलेगा।

बैठक में यह बात भी सामने रखी गई जो निम्न आय वर्ग के लोग हैं, उनकी कोई क्रेडिट हिस्ट्री नहीं होती है। लेकिन ऐसे ग्राहक महीने में एक या दो बार अपने फोन को रिचार्ज कराते हैं। ग्राहक के डिजिटल रिचार्ज बिल से उसकी क्रेडिट हिस्ट्री तैयार होगी। हर महीने के बिल से पता चल जाएगा कि वह पिछले कुछ महीनों से फोन पर कितना खर्च कर पा रहा है। शर्मा के मुताबिक इस काम में ट्राई और आरबीआइ के बीच एक पार्टनरशिप भी तैयार हो रहा है जिसकी मदद से टेलीकॉम कंपनियां एकाउंट एग्रीगेटर (एए) प्रणाली का हिस्सा बन सकेंगी।

एकाउंट एग्रीगेटर का काम उपभोक्ताओं के डाटा को रखना और ग्राहकों की सहमति से उसे डाटा को विभिन्न एजेंसियों को मुहैया कराना होगा। हाल ही में नीति आयोग ने डाटा इंपावरमेंट और प्रोटेक्शन आर्किटेक्चर (दिपा) लागू करने की सिफारिश के साथ ड्राफ्ट जारी किया है। इसमें कहा गया है कि वित्त, स्वास्थ्य क्षेत्र, टेलीकॉम के साथ ई-कॉमर्स व शहरी क्षेत्र के लिए एए काम करेगा। एए को लाइसेंस देने का काम आरबीआइ करेगा।

ड्राफ्ट के मुताबिक नवंबर, 2019 में आरबीआइ ने विभिन्न क्षेत्रों में एए तैयार करने की दिशा में जरूरी तकनीक दिशा-निर्देश प्रकाशित किया था। पिछले साल नवंबर से लेकर अब तक आरबीआइ ने एए के लिए 7 लाइसेंस को सैद्धांतिक रूप से अपनी मंजूरी दे चुका है। इनमें से 2 को एए के संचालन का लाइसेंस हासिल हो चुका है।

विभिन्न क्षेत्रों के लिए एए तैयार करने के उद्देश्य से इस साल जुलाई-अगस्त में एए हैकाथॉन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में 550 से अधिक स्टार्टअप्स व फिनटेक कंपनियों ने प्रतियोगियों के रूप में भाग लिया था। इनमें से एए के लिए चुने गए स्टार्टअप्स व फिनटेक को एए का लाइसेंस दिया जा सकता है। नीति आयोग के मुताबिक शहरी निकायों के साथ लोगों के डाटा शेयरिंग के लिए अर्बन डाटा एक्सचेंज का भी निर्माण किया जा सकता है।


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