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नीतियां बदलीं, विकास हुआ, मगर गरीब वहीं का वहीं: पॉल क्रुगमैन

पॉल क्रुगमैन ने कहा कि भारत में गरीबी उन्मूलन पर काम हुआ, पर आर्थिक असमानता गहरी होती गई

By Praveen DwivediEdited By: Published: Sun, 18 Mar 2018 11:35 AM (IST)Updated: Sun, 18 Mar 2018 11:36 AM (IST)
नीतियां बदलीं, विकास हुआ, मगर गरीब वहीं का वहीं: पॉल क्रुगमैन
नीतियां बदलीं, विकास हुआ, मगर गरीब वहीं का वहीं: पॉल क्रुगमैन

नई दिल्ली (आइएएनएस)। नोबेल पुरस्कार विजेता अमेरिकी अर्थशास्त्री और लेखक पॉल क्रुगमैन ने भारतीय विकास गाथा को श्वेत-स्याह पहलुओं का अद्भुत संगम बताया है। ‘राइजिंग इंडिया समिट’ में शिरकत कर रहे क्रुगमैन ने एक तरफ जहां पिछले कुछ वर्षो के दौरान भारत की विकास गति को असाधारण बताया, वहीं उन्होंने कहा कि तरक्की के बावजूद अभी भी आर्थिक असमानता भारत के लिए बड़ी चुनौती है।

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क्रुगमैन ने कहा, ‘ब्रिटेन को तरक्की का जो मुकाम हासिल करने में 150 वर्ष लगे थे, भारत ने वह मुकाम महज पिछले 30 वर्षो में हासिल कर लिया। पहले के मुकाबले भारत में कारोबारी सहूलियत बहुत बढ़ी है। इसके बावजूद भारत में स्पष्ट दिख जाने वाली गरीबी है।’

अमेरिकी अर्थशास्त्री ने पूरे भाषण के दौरान पिछले कुछ वर्षो की तरक्की और बदल रहे भारत की जमकर तारीफ की। हालांकि वे तरक्की के बीच और बढ़ रही आर्थिक असमानता पर आलोचनाओं से भी नहीं चूके। उन्होंने कहा, ‘भारत में ऊंचे दर्जे की आर्थिक असमानता है और तरक्की के साथ-साथ यह बढ़ती ही गई है। संपत्ति का असमान वितरण साफ दिखता है।’

भारत और चीन की तुलना करते हुए क्रुगमैन ने कहा, ‘दुनिया जब भी मध्यम वर्ग के विकास और विस्तार की बात करती है, तो उसका फोकस मुख्य रूप से चीन पर होता है। लेकिन मैं समझता हूं कि भारत भी मध्यम वर्ग के विकास की कहानी का अटूट हिस्सा है। भारत आज भी गरीब है, लेकिन उतना नहीं जितना पहले था। भारत की प्रति व्यक्ति आय अमेरिका के मुकाबले महज 12 फीसद है। हालांकि पहली नजर में यह कम लग सकता है, लेकिन कुछ वर्ष पहले के महज चार फीसद के मुकाबले यह खासा उत्साहजनक है।’

भारत की विकास गाथा का गुण-गान करते हुए क्रुगमैन ने कहा कि देश खरीदारी क्षमता के लिहाज से जापान को पछाड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और अब सिर्फ अमेरिका और चीन के पीछे है। इस मोर्चे पर भारत यूरोप के किसी भी देश से आगे है। अर्थव्यवस्था को गति देने वाले कारकों पर क्रुगमैन का कहना था, ‘वर्ष 1990 के दशक में आर्थिक उदारीकरण का दौर शुरू हुआ। मैं मानता हूं कि अर्थव्यवस्था पर सरकार का अंकुश नहीं रहना चाहिए। भारत में लाइसेंस राज हुआ करता था जो खत्म तो हो गया है, लेकिन पूरी तरह गया नहीं है।

प्रधानमंत्री ने कहा है कि कारोबारी सहूलियत के मोर्चे पर देश 148 से 100वें स्थान पर आ गया है। यह उत्साहवर्धक है लेकिन काफी नहीं है।’ उन्होंने कहा कि सेवा-आधारित विकास का जो मॉडल भारत ने अपनाया और जिसका उसे भरपूर फायदा भी मिला, वह दुनिया के किसी और देश को नसीब नहीं हुआ। भारत ने सही वक्त पर आर्थिक विकास के लिए कुछ सही फैसले लिए। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा आर्थिक विकास दर को बनाए रखने के लिए रोजगार सृजन बहुत महत्वपूर्ण रहेगा।


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