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रेल टिकट के किराये में समय-समय पर किया जाए इजाफा: संसदीय समिति

नकदी की दिक्कत से जूझ रही भारतीय रेलवे देश में रोजगार देने वाला सार्वजनिक क्षेत्र का सबसे बड़ा संगठन है

By Surbhi JainEdited By: Published: Tue, 14 Aug 2018 12:17 PM (IST)Updated: Tue, 14 Aug 2018 12:17 PM (IST)
रेल टिकट के किराये में समय-समय पर किया जाए इजाफा: संसदीय समिति
रेल टिकट के किराये में समय-समय पर किया जाए इजाफा: संसदीय समिति

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। रेल की माली हालत को सुधारने की दिशा में ससंदीय समिति ने एक कारगर सुझाव दिया है। समिति ने सुझाव दिया है कि रेल टिकट के किराए में तर्कसंगत बढ़ोतरी की जानी चाहिए। उसका कहना है कि रेलवे के घाटे की भरपाई के लिए किराये में समय-समय पर इजाफा जरूरी है।

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जानकारी के लिए बता दें कि नकदी की दिक्कत से जूझ रही भारतीय रेलवे देश में रोजगार देने वाला सार्वजनिक क्षेत्र का सबसे बड़ा संगठन है। वर्तमान में यह पेंशन भुगतान के दबाव में चल रहा है। रेलवे को सालाना 50 हजार करोड़ रुपये पेंशन के रूप में भुगतान करने पड़ते हैं जबकि यात्री मद में इसका घाटा बढ़कर 35 हजार करोड़ रुपये हो गया है।

संसद को सौंपी गई रिपोर्ट में रेलवे कन्वेंशन कमिटी (आरसीसी) ने रेलवे के आंतरिक संसाधन सृजन की समीक्षा करते हुए यह भी सिफारिश की है कि रेलवे को अपने घाटों के मद्देनजर यात्री मद में आय बढ़ाने के लिए समय-समय पर और युक्तिसंगत तरीके से रेल किरायों में वृद्धि करनी चाहिए।

रेलवे के मुताबिक, घाटे की प्रमुख वजह काफी समय से यात्री किराये में वृद्धि न हो रही भी है। हालांकि ट्रेन की कुछ श्रेणियों के किराये में इजाफा किया गया है। इन श्रेणियों के यात्रियों की संख्या सीमित है। समिति ने फ्लेक्सी फेयर लागू होने से रेलवे को मिले राजस्व के फायदे का अलग से आकलन करने के लिए भी कहा है। माना जाता है कि फ्लेक्सी फेयर कभी-कभी इकोनॉमी क्लास के हवाई किराये के समतुल्य होता है।

रेलवे ने बीते पांच वर्ष यानी 2013-14 से लेकर 2017-18 के दौरान सिर्फ 2014-15 को छोड़कर शेष अवधि में रेलवे के आंतरिक राजस्व पैदा करने के लक्ष्य के मुकाबले रेलवे की आमदनी में कमी आई है। यह कमी वर्ष 2013-14 में 2,828 करोड़ रुपये, 2015-16 में 789 करोड़ रुपये, 2016-17 में 2,782 करोड़ रुपये और 2017-18 में 8,238 करोड़ रुपये रही है।


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