Move to Jagran APP

सरकार को सुधार कार्यक्रमों पर टिके रहना चाहिए: पानगड़िया

अरविंद पानगड़िया ने कहा कि सरकार को वित्तीय घाटे के लक्ष्य को नहीं बदलना चाहिए। वित्तीय घाटे को कम करना इस सरकार की एक प्रमुख उपलब्धि है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 09:47 AM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 09:47 AM (IST)
सरकार को सुधार कार्यक्रमों पर टिके रहना चाहिए: पानगड़िया
सरकार को सुधार कार्यक्रमों पर टिके रहना चाहिए: पानगड़िया

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पानगड़िया ने रविवार को कहा कि केंद्र सरकार को 2018-19 के लिए वित्तीय घाटे का लक्ष्य नहीं बदलना चाहिए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत सरकार के चार साल से अधिक के कार्यकाल में अपनाए गए सुधार कार्यक्रमों पर टिके रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने सुधार कायक्रमों को लागू करने की दिशा में अत्यधिक प्रगति की है। इन सुधारों में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्शी कोड (आइबीसी) जैसे कुछ कठिन संरचनात्मक सुधार भी शामिल हैं, जो पिछली सरकार के लिए पेश करना कठिन था।

loksabha election banner

ख्यातिप्राप्त अर्थशास्त्री ने कहा कि सरकार को वित्तीय घाटे के लक्ष्य को नहीं बदलना चाहिए। वित्तीय घाटे को कम करना इस सरकार की एक प्रमुख उपलब्धि है। इसने आर्थिक स्थिरता में केंद्रीय भूमिका निभाई है, जो पिछले चार साल में अर्थव्यवस्था की खासियत रही है। 2018-19 के लिए सरकार ने वित्तीय घाटे का लक्ष्य 3.3 फीसद रखा है।

आगामी आम चुनाव को देखते हुए उन्होंने कहा कि कानून में बदलाव के लिए तो चुनाव तक का इंतजार करना होगा, लेकिन जो सुधार नियमावली में संशोधन करने से हो सकते हैं, उसे जारी रखा जा सकता है। लोकसेवा में बाहर से भर्ती, बाजार में सूचीबद्ध सरकारी कंपनियों का निजीकरण और बीमार सरकारी कंपनियों को बंद करना ऐसे ही कुछ सुधार हैं। उन्होंने कहा कि गत चार साल में देश की औसत विकास दर 7.3 फीसद रही है, जो संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के आखिरी दो साल में 5.9 फीसद रही थी। पानगड़िया अभी कोलंबिया विश्वविद्यालय में भारतीय राजनीतिक अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं।

चालू खाता घाटा कम करने के लिए कुछ वस्तुओं पर आयात शुल्क में की गई बढ़ोतरी के मामले में पानगड़िया ने वित्त मंत्रालय के कुछ अधिकारियों के रवैये को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग और वाणिज्य मंत्रलय मंं कुछ नौकरशाह व्यापार में खुलेपन के महत्व को नहीं समझ रहे हैं। यदि वे समझ रहे होते, तो वे उन नेताओं को भी यह समझा सकते थे, जिनकी वे सेवा कर रहे हैं। हम अपने ही अनुभव से मिले सबक को भूल चुके हैं और उसी रास्ते पर वापस लौट आए हैं, जो हमने कई साल पहले छोड़ दी थी। उम्मीद है इसे जल्द ही ठीक कर लिया जाएगा। गौरतलब है कि सरकार ने बीते दिनों 19 मदों पर उत्पाद शुल्क बढ़ा दिए हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.