Move to Jagran APP

IBC से बाहर ही निपट गए पौने चार लाख करोड़ रुपये के 9,600 मामले

Insolvency and Bankruptcy Code (IBC) वर्ष 2016 में अस्तित्व में आया था। इसका मकसद संकट से गुजर रही संपत्ति की समस्याओं का निश्चित समय के भीतर निपटान करना है। PC Pixabay

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Mon, 16 Dec 2019 09:23 AM (IST)Updated: Mon, 16 Dec 2019 09:24 AM (IST)
IBC से बाहर ही निपट गए पौने चार लाख करोड़ रुपये के 9,600 मामले
IBC से बाहर ही निपट गए पौने चार लाख करोड़ रुपये के 9,600 मामले

नई दिल्ली, पीटीआइ। सरकार ने बताया है कि इन्सॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी प्रक्रिया में जाने से पहले ही 9,600 से अधिक मामलों को निपटा लिया गया है। इन मामलों से सम्मिलित रूप से करीब 3.75 लाख करोड़ रुपये की रिकवरी हुई। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक आइबीसी के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक इसमें कुल 21,136 मामले आए हैं। इनमें 3,74,931.30 करोड़ रुपये के 9,653 मामले आइबीसी के बाहर ही सुलझा लिए गए।

loksabha election banner

इसके अलावा 2,838 मामलों में इन्सॉल्वेंसी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की गई और इनमें से 306 मामलों का निपटान कर दिया गया है। इस दौरान मंत्रालय ने बताया कि आइबीसी के तहत 161 ऐसे मामलों को सुलझाया गया है, जिनमें 1,56,814 करोड़ रुपये फंसे हुए थे। इन्सॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (आइबीसी) वर्ष 2016 में अस्तित्व में आया था। इसका मकसद संकट से गुजर रही संपत्ति की समस्याओं का निश्चित समय के भीतर निपटान करना है।

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने वर्ष के अंत में की गई समीक्षा में बताया कि पिछले कुछ समय के दौरान सरकार ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार किए हैं और मजबूत इन्सॉल्वेंसी ढांचा तैयार किया है। सरकारी सुधारों के चलते ही हम विश्व बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंक में 14 स्थानों के सुधार में सफल रहे हैं। भारत इस वर्ष की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंक में 63वें पायदान पर रहा है। इससे पहले यह 77वें पायदान पर था।

14,000 से अधिक मामले वापस लिए गए

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने कहा है कि कंपनी कानून में सुधार के बाद 14,000 से अधिक मामले वापस लिए गए हैं। इन सुधारों में कई कानूनों को गैर-आपराधिक मामलों में तब्दील करना शामिल है। इससे आपराधिक अदालतों और नेशनल कंपनी लॉ टिब्यूनल (एनसीएलटी) पर बोझ कम हुआ है। इसके अलावा राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) ने ग्रीन चैनल के अंतर्गत ऑटोमैटिक अप्रूवल सिस्टम की शुरुआत की है। इससे समय और लागत में कमी आई है। मंत्रालय ने कहा कि कंपनियों के पंजीकरण और नाम का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए बनाए गए सेंट्रल रजिस्ट्रेशन सेंटर में महज दो दिनों के भीतर काम हो जाता है, जिसमें पहले अमूमन 15 दिनों तक लगते थे। पिछले तीन वर्षो में सालाना सवा लाख से ज्यादा कंपनियों ने पंजीकरण कराया है। उससे पहले यह आंकड़ा सलाना 60 हजार तक होता था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.