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होटल जाने की जगह ऐप से फूड ऑर्डर करना क्या फायदे का सौदा है? कितनी होती है आपकी बचत

फूड एग्रीगेटर्स कंपनियां ऑनलाइन खाना आर्डर करने पर 30 से 40 फीसद तक छूट देती हैं लेकिन त्योहारी सीजन में डिस्काउंट और भी बढ़ जाता है।

By NiteshEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 06:48 PM (IST)Updated: Mon, 23 Sep 2019 07:00 AM (IST)
होटल जाने की जगह ऐप से फूड ऑर्डर करना क्या फायदे का सौदा है? कितनी होती है आपकी बचत
होटल जाने की जगह ऐप से फूड ऑर्डर करना क्या फायदे का सौदा है? कितनी होती है आपकी बचत

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। त्योहारी सीजन की शुरुआत हो गई है। आने वाले दो-तीन महीनों तक इसकी धूम रहेगी। या यूं कह लें कि नए साल के शुरुआती हफ्ते तक लोग त्योहारी सीजन का आनंद उठाएंगे। ऐसे में बहुत सारी फैमिली या कपल्स छुट्टियां बिताने घर से बाहर जाएंगे। घूमने-फिरने के अलावा लोगों को खाने का शौक भी होता है। भागती-दौड़ती जिंदगी में इंसान के पास समय नहीं है। दिन भर घूम-फिरकर आने के बाद हो सकता है आप थक जाएं या फिर देर रात घर पहुंचने पर खाना बनाने का आपका मन न करे। ऐसे में आपके पास विकल्प बचता है कि आप ऑनलाइन खाना आर्डर करें। बदलते वक्त में ये कारोबार तेजी से आगे बढ़ रहा है। लोग होटल में खाना खाने जाने के बजाये ऑनलाइन खाना आर्डर करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण, समय का अभाव, सस्ता और स्वादिष्ट खाना और खाने को लेकर मेन्यू में बहुत सारे विकल्प का होना है।

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दरअसल, फूड एग्रीगेटर्स कंपनियां ऑनलाइन खाना आर्डर करने पर 30 से 40 फीसद तक छूट देती हैं, लेकिन त्योहारी सीजन में डिस्काउंट और भी बढ़ जाता है। इसके पीछे फूड डिलीवरी एप कंपनियों का मकसद ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों तक पहुंच बनाना है। मान कीजिये, अगर बाहर बहुत तेज बारिश हो रही हो या बेहद गर्मी हो और आपके घर पर भी खाना नहीं बन रहा है तो ऐसे में आप बाहर से खाना आर्डर करना चाहेंगे, ऑनलाइन फूड ऐप्सब का एक फायदा यह भी है।

होटल की तुलना में ऐसे बचता है आपका पैसा

अगर आप घर से कहीं दूर किसी अच्छे होटल में खाना खाने जाते हैं तो इसके लिए आपको ट्रेवलिंग चार्ज देना होता है। होटल में बैठकर खाने में आपको कई तरह की सहूलियत दी जाती है, जैसे आप एयरकंडीशन में बैठकर खाना खाते हैं। साफ सफाई का विशेष ख्याल रखा जाता है। आपकी खातिरदारी थोड़ी अलग तरह से होती है। इन सबके बदले आप जिस किसी भी होटल या रेस्टोरेंट में बैठकर खाना खाते हैं, मालिक को अपने रेस्टोरेंट का महीने का किराया देना होता है। जरूरी नहीं है कि हर होटल या रेस्टोरेंट मालिक का खुद अपना हो। होटल में काम वाले कुक को पैसे देना होता है। वेटर की तनख्वाह भी देनी होती है, इन सब का खर्च निकालने के अलावा होटल को अपना मुनाफा भी निकालना होता है, जिससे आपका खाना महंगा हो जाता है। आपके खाने के बाद बिल में जीएसटी देना होता है, सर्विस चार्ज भी जोड़ा जाता है, इसके अलावा अगर आपकी मर्जी हो तो आप ट्रिप भी देते हैं।

हालांकि, जब आप ऑनलाइन खाना आर्डर करते हैं तो इसमें जीएसटी शामिल तो रहता है लेकिन आपको सब कुछ डिस्काउंट में मिलता है। फूड एग्रीगेटर्स आपको खाना ऑर्डर करने के दौरान प्रोमो कोड भी भेजते हैं जिसका इस्तेमाल कर आप सस्ते में खाना आर्डर कर सकते हैं। फूड एग्रीगेटर्स अक्सर डिस्काउंट लेकर आते हैं, जिसके जरिये आपका खाना होटल की तुलना में सस्तास होता है।

कैसे चलता है ये कारोबार

एक रिपोर्ट के मुताबिक, ऑनलाइन फूड डिलीवरी इंडस्ट्री को हर महीने 500 से ज्यादा शहरों से करीब 8 करोड़ ऑर्डर मिलते हैं। इस सिस्टम में फूड एग्रीगेटर्स तय कमीशन के बदले रेस्टोरेंट को ऑर्डर दिलवाते हैं। इसमें रेस्टोरेंट को सिर्फ खाना बनाकर पैक करना होता है। उन्हें नियमित ग्राहकों के अलावा अतिरिक्त कमाई तो मिलती ही है, उनके प्लेटफॉर्म का प्रचार भी होता है। फूड एग्रीगेटर्स कंपनियां अपने प्लेटफॉर्म पर कई नए रेस्टोरेंट जोड़ती हैं। इसके साथ ही जिन पुराने रेस्टोरेंट के लिए ज्यादा ऑर्डर आते हैं, उन्हें वे एक्सक्लूसिव पार्टनर बनाती हैं। नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) की फूड सर्विस रिपोर्ट 2019 के मुताबिक रेस्टोरेंट्स में जाकर खाने वालों की संख्या 90 फीसद है और डिलीवरी सर्विस की हिस्सेदारी लगभग 8 फीसद है।

फूड एग्रीगेटर्स को हो रहा घाटा

एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्विग्गी और जोमैटो को पिछले एक साल में 14 हजार करोड़ रुपए का निवेश मिला है, जिसमें सबसे ज्यादा स्विगी के खाते में आया है।

कंपनियां रेवेन्यू (करोड़ो में) घाटा (करोड़ो में)

2016-17 2017-18 2016-17 2017-18

जोमैटो 332 466 390 106

फूड पांडा 45 89 45 228

स्विगी 133 442 205 397

तकनीक की बढ़ती तेजी ने इंसान के जीवन को पहले से सुलभ बना दिया है। बदलते वक्त में तकनीक के क्षेत्र में हर पल कुछ नया हो रहा है। इसमें सबसे बड़ी क्रांति मोबाइल फोन का लोगों के हाथों तक पहुंचने से आई है, और इसको और आसान बनाने में मोबाइल नेटवर्क का भी सबसे बड़ी भूमिका है। मौजूदा समय में लगभग हर तीन में से दो व्यक्ति के हाथों में मोबाइल है। इसके बाद मोबाइल कंपनियों की दूर-दराज के क्षेत्र में नेटवर्क की पहुंच ठीक है। मोबाइल नेटवर्किंग कंपनियां सस्ते दाम पर नेट सर्फिंग डाटा और कॉलिंग की सुविधा मुहैया करा रही हैं।

आज के समय की तुलना पिछले 6-7 वर्षों से करें तो आज आप कहीं भी बैठे-बैठे अपने मोबाइल से कैब बुक कर सकते हैं। ट्रेन टिकट, फ्लाइट टिकट, बस का टिकट यहां तक की खाना भी आर्डर कर सकते हैं। मतलब अगर आपके हाथ में मोबाइल है तो दुनिया आपकी मुट्ठी में है। आप देश दुनिया की हर खबर, हर जानकारी अपने मोबाइल पर ले सकते हैं। इसके लिए आपको कुछ अलग नहीं करना है, बस जिस सुविधा की तलब आपको है उसका एप डाउनलोड करना है और फिर वो चीज कुछ ही देर में आपके पास होगी। यूं तो मोबाइल के हो जाने से बहुत सारे काम आसान हो गए हैं, लेकिन हम इस खबर में बात करेंगे मोबाइल फोन में डाउनलोड एप के जरिये खाना आर्डर करना कितना सस्ता और कितना आसान हो गया है।


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