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पेट्रोल, डीजल की कीमतें न बढ़ने से संकट में तेल कंपनियां, जानें कितने करोड़ रुपये का हुआ नुकसान

आईओसी एचपीसीएल और बीपीसीएल ने अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों में तेजी के बावजूद चार महीने से अपनी दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। जबकि कंपनियों को लागत के अनुरूप पेट्रोल और डीजल की कीमतों में प्रतिदिन बदलाव करने की जरूरत होती है।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Published: Sun, 07 Aug 2022 03:37 PM (IST)Updated: Sun, 07 Aug 2022 03:37 PM (IST)
पेट्रोल, डीजल की कीमतें न बढ़ने से संकट में तेल कंपनियां, जानें कितने करोड़ रुपये का हुआ नुकसान
IOC, HPCL, BPCL post Rs 18,480 cr loss in Q1 on holding petrol, diesel prices

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। सरकारी स्वामित्व वाली इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) को पेट्रोल और डीजल की कीमतें न बढ़ने से 18,480 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। लागत में में बढ़ोतरी के बावजूद सरकार ने कंपनियों को तेल के दाम बढ़ाने की इजाजत नहीं दी है। कंपनियों द्वारा की गई स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग के अनुसार, यह नुकसान पेट्रोल, डीजल और घरेलू एलपीजी पर मार्केटिंग मार्जिन में गिरावट के कारण हुआ।

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आईओसी, एचपीसीएल और बीपीसीएल, जिन्हें लागत के अनुरूप पेट्रोल और डीजल की कीमतों में प्रतिदिन बदलाव करना पड़ता है, उन्होंने अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों में तेजी के बावजूद चार महीने से अपनी दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। यही नहीं, रसोई गैस के दाम भी लागत के अनुरूप नहीं बढ़े हैं। आईओसी ने अप्रैल-जून तिमाही में 1,995.3 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया। वहीं शनिवार को जारी आंकड़ों के अनुसार एचपीसीएल ने 10,196.94 करोड़ रुपये का घाटा उठाया है। यह अब तक का सबसे अधिक तिमाही घाटा है।बीपीसीएल को 6,290.8 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है।

18,480.27 करोड़ रुपये का संयुक्त घाटा किसी भी तिमाही के लिए अब तक का सबसे अधिक स्तर है। अप्रैल-जून के दौरान, आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल ने बढ़ती लागत के अनुरूप पेट्रोल और डीजल की कीमतों में संशोधन नहीं किया। ऐसा महंगाई को और अधिक बढ़ने से रोकने के लिए किया गया था। तब मुद्रास्फीति की दर 7 प्रतिशत से ऊपर थी।

अप्रैल-जून तिमाही के दौरान भारत में कच्चे तेल का आयात औसतन 109 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल था, लेकिन पेट्रोल पंपों पर जिस दर से तेल बेचा गया वह लगभग 85-86 डॉलर प्रति बैरल के आसपास ठहरता है। बता दें कि तेल कंपनियां सैद्धांतिक रूप से ईंधन की खुदरा कीमतों में संशोधन करने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन इन पर अक्सर सरकार का नियंत्रण रहता है। IOC, BPCL और HPCL ने विधानसभा चुनाव से पहले भी दाम बढ़ाना बंद कर दिया था। तब 137 दिन तक तक डीजल और पेट्रोल के दाम नहीं बढ़े थे।

यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद आपूर्ति संबंधी चिंताओं के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतें कई वर्षों के उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं। सरकार ने मई में पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती की थी, ताकि उपभोक्ताओं पर महंगाई का बोझ कम हो सके। पिछले महीने आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने एक रिपोर्ट में कहा था कि आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल ने पेट्रोल और डीजल को 12-14 रुपये प्रति लीटर के नुकसान पर बेचा, जिससे तिमाही के दौरान रिफाइनिंग सेक्टर का प्रदर्शन बुरी तरह से प्रभावित हुआ।


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