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नैनो पर फंडिंग को लेकर रतन टाटा से थे मतभेद: नुस्ली वाडिया

टाटा संस के स्वतंत्र निदेशक नुस्ली वाडिया ने बुधवार को बताया कि नैनो की निरंतरता को लेकर रतन टाटा के साथ उनके मतभेद थे, जिसके कारण कंपनी के वित्तीय संसाधनों की बरबादी हुई

By Surbhi JainEdited By: Published: Wed, 14 Dec 2016 05:16 PM (IST)Updated: Wed, 14 Dec 2016 06:47 PM (IST)
नैनो पर फंडिंग को लेकर रतन टाटा से थे मतभेद: नुस्ली वाडिया

नई दिल्ली। टाटा संस के स्वतंत्र निदेशक नुस्ली वाडिया ने बुधवार को बताया कि नैनो की निरंतरता को लेकर रतन टाटा के साथ उनके मतभेद थे, जिसके कारण कंपनी के वित्तीय संसाधनों की बरबादी हुई। आपको बता दें कि नुस्ली वाडिया को टाटा संस से निकाले जाने के लिए अगले हफ्ते एक बैठक होनी है जिसमें शेयरहोल्डर्स उन्हें कंपनी से निकालने के लिए मतदान करेंगे।

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वाडिया ने शेयरहोल्डर्स को लिखा एक पत्र:
22 दिसंबर को होने वाली ईजीएम से ठीक पहले नुस्ली वाडिया ने शेयर होल्डर्स को लिखे एक पत्र में कहा है कि नैनो में निवेश और घाटा हजारों करोड़ रुपए में है। इस छोटी कार (नैनो) को क्यों बंद किया जाना चाहिए इस पर अपना तर्क देते हुए उन्होंने कहा, “नैनो, साल 2008 में इस कार को 1 लाख रुपए में बेचने की कल्पना की गई थी, जो कि बाद में टाटा मोटर्स के वित्तीय संसाधनों की बरबादी की मुख्य वजह साबित हुई। यहां तक कि कार की कीमत 2.25 लाख रुपए रखने पर न तो कार की बिक्री हुई और न ही यह व्यवहारिक था क्योंकि वाहन की हर बिक्री पर कंपनी को नुकसान हुआ।”

उन्होंने आगे कहा, “इसकी वाणिज्यिक विफलता, जो कि लॉन्च के कुछ समय बाद ही स्पष्ट हो गई थी, की निरंतरता और फंडिंग को लेकर मेरे मतभेद थे। कुछ सालों में भारी नुकसान देखने को मिला। इसके लिए निवेश की जो योजना बनाई गई थी वो 2.5 लाख कारों के लिए थी, जबकि साल 2015-16 की अवधि के दौरान 20,000 कारों का निर्माण किया गया और मौजूदा समय में यह और भी कम है।”


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