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इस वर्ष एनपीए 1.8 लाख करोड़ घटने की उम्मीद

सरकार को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में फंसे कर्जो (एनपीए) की वसूली 1.8 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य को पार कर जाएगी

By Pramod Kumar Edited By: Published: Mon, 29 Oct 2018 08:36 AM (IST)Updated: Mon, 29 Oct 2018 08:36 AM (IST)
इस वर्ष एनपीए 1.8 लाख करोड़ घटने की उम्मीद
इस वर्ष एनपीए 1.8 लाख करोड़ घटने की उम्मीद

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। इन्सॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (आइबीसी) के परिणाम से सरकार काफी उत्साहित है और उसे उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में फंसे कर्जो (एनपीए) की वसूली 1.8 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य को पार कर जाएगी। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कुछ बड़े कर्ज खाते आइबीसी के तहत समाधान होने की प्रक्रिया में हैं और कुछ अन्य इसके लिए चिह्न्ति किए जा चुके हैं। सफलता की दर को देखते हुए हमें उम्मीद है कि आइबीसी तथा अन्य साधानों से वसूली 1.8 लाख करोड़ रुपये के हमारे लक्ष्य से ऊपर जा सकती है।

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आरबीआइ द्वारा पहली सूची के तहत जो 12 मामले दिवालिया प्रक्रिया के हवाले किए गए हैं, उन मामलों में बैंकों को एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की वसूली होने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बैंकों ने 36,551 करोड़ रुपये की वसूली की। वहीं 2017-18 में बैंकों को 74,562 करोड़ रुपये की वसूली हुई थी।

आइबीसी को लेकर संतोष जाहिर करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि अब लोग मोटे तौर पर इस बात से वाकिफ हो चुके हैं कि भारत में परिस्थितियां बदल चुकी हैं। अब अगर आप कर्ज लेते हैं तो भुगतान के लिए बैंक आपका पीछा नहीं करेंगे, बल्कि खुद आपको भुगतान के लिए बैंक तक जाना होगा। इसके कारण वसूली बढ़ गई है। वसूली सिर्फ इसलिए नहीं बढ़ी है कि एनसीएलटी के जरिए समाधान हो चुका है, बल्कि वसूली इस डर के कारण भी बढ़ी है कि यदि बकाये का समय सीमा के अंदर भुगतान नहीं हुआ, मामले को आइबीसी प्रक्रिया के हवाले कर दिया जाएगा। जेटली ने कहा था कि यदि आपने पिछली एक दो तिमाहियों पर गौर किया होगा, तो पाया होगा कि संभावित डिफॉल्टर अब किसी भी तरीके से कर्ज चुकाने को सामने आ रहे हैं। इसलिए बैंक एनसीएलटी के बाहर भी अपने कर्ज वापस पा रहे हैं, क्योंकि संभावित डिफॉल्टर समय सीमा को पार नहीं करना चाहते हैं।

पहली सूची में से दो बड़े मामले एस्सार स्टील और भूषण पावर एंड स्टील समाधान प्रक्रिया के आखिरी चरण में हैं। वहीं बिनानी सीमेंट और जेपी इन्फ्राटेक समाधान की प्रक्रिया में हैं।

पिछले साल जून में आरबीआइ की आंतरिक सलाहकार समिति (आइएसी) ने 12 खातों की पहचान की थी। इनमें से हर खाते पर 5,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज बकाया था और इन खातों का बैंकों के कुल एनपीए में 25 फीसद योगदान था।


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