NPA को लेकर एक्टिव हुई सरकार, वित्त, बिजली और संचार मंत्रालयों में चला बैठकों का दौर
केंद्र सरकार के लिए एनपीए की समस्या अहम प्राथमिकता है
नई दिल्ली (जेएनएन)। अब जाकर लग रहा है कि केंद्र ने सरकारी बैंकों में फंसे कर्ज (एनपीए) की समस्या सुलझाने को अहम प्राथमिकता के तौर पर चिह्न्ति कर लिया है। साथ ही केंद्र सरकार के सारे तंत्र न सिर्फ सक्रिय हो गए हैं बल्कि रिजर्व बैंक के स्तर पर भी बैंकों के साथ बेहद सख्ती से पेश आने के संकेत हैं। बृहस्पतिवार को यहां वित्त मंत्रलय, संचार मंत्रलय और बिजली मंत्रलय में एनपीए को समयबद्ध योजना के तहत सुलझाने के लिए अलग-अलग तीन बैठकों का दौर चला। दूसरी तरफ केंद्रीय बैंक ने बैंकों को अल्टीमेटम दिया है कि अगर उन्होंने छह महीने में 55 सबसे बड़े एनपीए खाताधारकों के मामले नहीं सुलझाए तो इन कंपनियों के खिलाफ नये दिवालिया कानून के तहत कदम उठाया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक सबसे पहले वित्त मंत्रलय और रिजर्व बैंक के अधिकारियों के बीच चयनित 12 बड़े एनपीए खातों में तीन के मामले को सुलझाने को लेकर बैठक हुई है। इनमें दो स्टील क्षेत्र की और एक बिजली क्षेत्र की निजी कंपनी है, जिन पर सरकारी बैंकों का संयुक्त तौर पर 80 हजार करोड रुपये के कर्ज एनपीए में तब्दील हो चुके हैं। इन कंपनियों के एनपीए को सुलझाने का फामरूला तैयार है जिसे जल्द ही अंतिम मंजूरी के लिए केंद्रीय बैंक की विशेष समिति के पास भेजा जाएगा। दूसरी अहम बैठक ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में बिजली कंपनियों पर बकाये कर्ज को लेकर हुई है। इसमें बिजली क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों के प्रतिनिधि और बैंकों के प्रतिनिधि शामिल हुए। सरकार पहले ही कह चुकी है कि स्टील और बिजली क्षेत्र की कंपनियों पर सबसे ज्यादा एनपीए है। हाल में देश के सबसे बड़े 12 एनपीए ग्राहकों की जो सूची तैयार की गई है उसमें अधिकांश इन्हीं दो क्षेत्रों के हैं। बिजली मंत्रलय के सूत्रों के मुताबिक बिजली कंपनियों पर बकाये एनपीए का स्तर 2.1 लाख करोड़ रुपये से 2.3 लाख करोड़ रुपये का हो सकता है।
गुरुवार को एनपीए की तीसरी बैठक संचार मंत्री मनोज सिन्हा ने की। वैसे तो यह बैठक संचार क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों के साथ पूरे उद्योग की स्थिति पर विचार विमर्श के लिए बुलाई गई थी, लेकिन बैंकों के बकाये कर्ज का मुद्दा भी उठा। कंपनियों की तरफ से सरकार को बताया गया है कि जिस तरह से पूरे संचार उद्योग की स्थिति हो गई है उससे उनके लिए आगे निवेश के लिए पैसा जुटाने में परेशानी हो रही है। तीनों बैठकों को एनपीए की समस्या दूर करने के लिहाज से अहम माना जा रहा है। आरबीआइ ने फंसे कर्ज की समस्या से लड़ने को लेकर बैंकों पर अपना दबाव बढ़ा दिया है। बैंकों को कहा गया है कि वे छह महीने में शीर्ष 55 एनपीए खाताधारकों की समस्याओं को सुलझाने का फामरूला तैयार करे नहीं तो इन कंपनियों की परिसंपत्तियां जब्त करने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। सिर्फ सरकारी बैंकों के एनपीए का स्तर रिकॉर्ड सात लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का हो चुका है। कई लोग मानते हैं कि यह भारतीय वित्तीय व्यवस्था के सामने सबसे बड़ी चुनौती है।